जनमानस
धारा 370 पर आम चर्चा हो
भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जो लड़ाई धारा 370 के खिलाफ लड़ी थी, उसे देश भूला नहीं है। हां केन्द्रीय सत्ता अवश्य अपने हितों के चलते हमेशा अनदेखी करती आ रही है। नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर यात्रा के दौरान इस पर टिप्पणी कर निश्चित ही इसके खिलाफ एक बहस को छेड़ दिया है जो समय की दृष्टि से प्रासंगिक भी है। धारा 370 पर आम आदमी की रायशुमारी को मान्यता मिलनी चाहिए। धारा 370 के मुताबिक विशेष दर्जा प्राप्त राज्य बनाया गया, लेकिन इस का फायदा कम नुकसान अधिक हुआ है। एक राष्ट्र में दो विधान दो निशान कदापि उचित नहीं हैं। 1953 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए, धारा 370 को समाप्त करने के लिए जन आंदोलन चलना चाहिए, बाहरी प्रदेश का व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता क्यों? जब बाहरी देश के अन्य राज्यों के संसाधनों का लाभ कश्मीर को नहीं मिल पाता, नए उद्योगों की सम्भावना सिरे से खारिज हो जाती है। खासतौर से महिलाओं के हितों की अनदेखी होती है। इसका उदाहरण शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर है जिन्हें धारा 370 के मुताबिक अधिकार प्राप्त नहीं है। जब शशि थरुर की पत्नी को हक नहीं मिला, तब जम्मू-कश्मीर की आम महिलाओं को क्या खाक मिलेगा। इस मुद्दे पर आम चर्चा आवश्यक है।
कुंवर वीरेन्द्र विद्रोही, ग्वालियर