जनमानस
चुनाव आयोग के सुधार
मध्यप्रदेश में मतदान शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया है और नेताओं के भाग्य ई.व्ही.एम. मशीनों में बंद होकर 8 दिसम्बर का इंतजार कर रहे हैं। चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने ई.व्ही.एम. मशीनों को सुरक्षित स्थानों पर रखवा दिया है और उनकी सुरक्षा में फोर्स तैनात कर दी है। इस प्रक्रिया को अपनाये जाने के बाद कांग्रेस नेताओं द्वारा ई.व्ही.एम. मशीनों की सुरक्षा को लेकर अनर्गल बयान जारी करना और टेंट लगाकर चौकीदारी करना पूरी तरह उनकी हार और बौखलाहट को उजागर करता है। अब बात आती है कि देश पर लगातार राज कांग्रेस ने किया अन्य सभी दल तो विपक्ष में रहे। देश में कांग्रेस किस तरह चुनाव जीतती रही इसको लेकर अनेक खबरें अखबारों और अन्य स्तंभकारों ने अपने लेखों के माध्यम से उद्घाटित की जिनका सम्पूर्ण विवरण देने की यहां कोई आवश्यकता नहीं है। बात उन दिनों की है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी.पी.सिंह कांग्रेस को कोसते हुए उससे अलग हुए थे। उन्हीं दिनों ग्वालियर में आकर उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस द्वारा चुनावों के समय किस तरह घपले किये जाते हैं उनका खुलासा देश के सामने किया था।
जब वी.पी.सिंह ने ग्वालियर में कृषिमण्डी के प्रांगण में खुलासा किया था तब वैलेट पेपर पर ठप्पा लगाकर मतदाता अपनी पसंद के नेता को वोट किया करते थे। मतदाता ठप्पा लगे वेलेट पेपर को एक मतदाता पेटी में डाला करते थे। इस मतदाता पेटी को लेकर वीपी सिंह ने जो खुलासे किये थे उससे केन्द्र में बैठे कांग्रेसी नेता से लेकर निचले स्तर तक का कांग्रेसी तिलमिला गया था।
उसके बाद देश में विपक्षी राजनीतिज्ञों और राजनीतिक विश्लेशकों द्वारा चुनाव सुधारों को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई थी। इस दिशा में अहम भूमिका निभाई तब के केन्द्रीय चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन ने। उन्होंने चुनावों के दौरान जो-जो खामियां दिखी उनको दूर करने के लिये अनेक प्रयास किये। आज हम वोटर कार्ड और फोटोयुक्त मतदाता सूची को देखते हैं यह उनके सुधार का ही परिणाम है।
चुनाव आयोग द्वारा धीरे-धीरे अन्य खामियों को दूर करते हुए ई.व्ही.एम. यानि इलेक्ट्रिक वोटर मशीन इसी सुधारवादी प्रक्रिया का एक असरकारी परिणाम है। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग अपने सुधारों को लेकर अभी रूका नहीं है ।
जवाहर प्रजापति, ग्वालियर