जनमानस
शायद कांग्रेस को विरासत में हिन्दू विरोध ही मिला है
आदर्श और यथार्थ में बहुत बड़ा विरोधाभास ही नहीं अपितु विरोध देखा जाता है। आदर्श कल्पना और स्पप्न लोक का विचार है जबकि यथार्थ व्यावहारिकता की सच्चाई है। गांधी जी में संत या महात्मा के गुण थे, नेहरू मूलत: साहित्यकार अर्थात भावुक व्यक्ति थे। अत: भआवनाओं द्वारा संचालित तथा नेहरू ने स्वयं लिखा है कि वे शिक्षा और संस्कृति से मुस्लिम और ईसाई तुल्य हैं, हिन्दू रूप में जन्मा उनके लिए आकस्मिक घटना थी। स्पष्ट है कि ईसा गर्हित सोच के कारण वे खुल कर मुस्लिम पोषक और हिन्दू संस्कृतिके विरोधी रहे। गांधीजी व नेहरू की देशघाती नीति के कारण देश के कर्ई बड़े नेताओं तथा स्वामी श्रदानंद, लाला राजपतराय, पुरुषोत्तम दास टंडन आदि को इनकी प्रतारणा झेलनी पड़ी।
हिन्दी व संस्कृति की घोर उपेक्षा तथा गौवध का जारी रहना मोपला कांड मुस्लिम लीग को नेहरू का समर्थन, टर्की की समस्या खिलाफत आंदोलन को भारत में जारी रखना, पाकिस्तान के निर्माण धर्म और जाति आधार पर कराना हिन्दुओं का घोर कत्तेलाम तथा पाकिस्तान में हिन्दू आबादी का समाप्ति की सीमा तथा उन्मूलन भारत में पाक समर्थक मुस्लम जेहादी संगठन का भारत विरोधी आचरण, 18 करोड़ संख्या फिर भी अल्पसंख्यक उनके हितों के लिए संविधान का संशोधन कांग्रेसी मानसिकता का विदूषित रूप है। यह तुच्छ व निदंनीय प्रवृत्ति आज विरह वृक्ष बन चुका है। शिंदे, दिग्विजयसिंह एवं कांग्रेस के अन्य नेताओं को देशभक्त दीवाने आरएसएस व भाजपा आतंकी दिखाई देते हैं। इनके देश में खुलकर जिहादी विचारकों, सिमी व पाक परस्त मुस्लिमों और आतंकवादी मुस्लिम संगठनों के विरुद्ध सत्य कहने में जुबान जड़ हो जाती है।
पं. रघुवीर सहाय आर्य, ग्वालियर
गो-पालक ध्यान दें
गोपालकों द्वारा अपनी गायों को सड़कों पर खुला छोडऩे की वजह से कई बार गौमाता सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। इसके अलावा सड़कों व कूड़ेदानों से अन्य गन्दगी खाती है, जिससे गौवंश को गंभीर बिमारियों का सामना करना पड़ता है। कई बार गौवंश सड़कों के बीच में बैठने के कारण गौवंश या तो घायल हो जाते हैं या अकाल मौत के ग्रास बन जाते हैं। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि पशु पालक द्वारा उन्हें खुला नहीं छोडं़े, ताकि गौवंश अकाल मौत होने से बच सके।
देखने में आता है कि सड़कों पर भटकती गायें घायल अवस्था में घूमती हुई नजर आती हैं, परंतु उनकी परवरिश के लिए कोई भी खड़ा नहीं होता है। इसलिए पशुपालक गायों को खुला न छोड़ें और घायल गायों का उपचार तुरंत करवाकर मानवता का परिचय देवें।
दिनेश, इन्दौर