भूमि अधिग्रहण विधेयक पर व्यापक सहमति: सुषमा

भूमि अधिग्रहण विधेयक पर व्यापक सहमति: सुषमा

नई दिल्ली | सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर व्यापक सहमति बना ली है। इससे महीने भर के गतिरोध के बाद विधेयक को संसद के बजट सत्र में ही पेश कर पारित कराने का रास्ता साफ हो गया। करीब 90 मिनट की सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि हमने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर व्यापक सहमति बना ली है।
सरकार भाजपा की इस मांग पर सहमत हो गई है कि भूमि अधिग्रहण की बजाय डेवलपर को उसे लीज पर दिया जाए ताकि भूमि का स्वामित्व किसान के पास ही रहे और उसे नियमित वार्षिक आय होती रहे। इस बीच सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक 2011 में संशोधन के लिए राजी हो गई है। राज्यों के लिए इसमें प्रावधान होगा कि वे इस संबंध में कानून बनायें क्योंकि भूमि को लीज पर देना या लेना राज्य का विषय है।
द्रमुक और वाम दलों को हालांकि विधेयक के बारे में अभी भी आपत्तियां हैं। माकपा ने मांग की है कि भूमि अधिग्रहण के कारण प्रभावित होने वाले सभी परिवारों की सहमति हासिल की जाए। माकपा नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि मूल विधेयक से नये विधेयक को काफी हल्का कर दिया गया है। मौजूदा विधेयक किसानों के हितों के खिलाफ है।
विधेयक जब संसद में पेश होगा, हम संशोधन लाएंगे। द्रमुक नेता टी आर बालू ने दावा किया कि विधेयक संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है और उनकी पार्टी विधेयक से सहमत नहीं हो सकती। श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर पिछले ही महीने सरकार से समर्थन वापस लेने वाली द्रमुक से विधेयक पर कल तक सुझाव देने को कहा गया है।

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