जनमानस
असुरक्षा का भय
जब हमारे देश को आजादी मिली थी उस समय आम आदमी कितनी खुशी हुई होगी । उस वक्त सभी को अपने मन न जाने कितने ही रंग के सपने बुने होंगे। सपने खुशियों के बुलंदियों पर चढ़कर भविष्य की कल्पना कर नदियों में गोते लगा रहे होंगे लेकिन आजादी के इतने वर्षो बाद भी क्या हमारे सपने जीवित हैं? क्या आज का आम आदमी अपने सपने को पूरा कर पा रहा है? क्या हम अपने ही इस देश में डरे सहमे से नहीं हैं? क्या आज हर आदमी एक नए और अनजाने डर से डरा हुआ नहीं है? आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? आज जो हालात देश में हैं, उससे आखिर हम कहां पहुंचेंगे? हमें कैसे भयमुक्त समाज मिलेगा? जिसकी चाह आम आदमी को वर्षो से है। सबसे ज्यादा डर तो उन मासूम बेटियों को है, जो आज के समाज में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगी हैं। आखिर हमारी सोच इतनी संकीर्ण क्यों हो गई है? हर तरफ अराजकता का माहौल दिखता है। जो प्यार और भाई चारा कुछ समय पहले था वह अब कहीं खो सा लगता है।
शिवनारायण द्विवेदी, सुभाष नगर ग्वालियर
आधार कार्ड से खिलवाड़
केंद्र सरकार भले ही आधार कार्ड को तमाम सरकारी सुविधाओं का आधार बनाने में जुटी है, लेकिन ग्वालियर में आधार कार्ड को लेकर जो लापरवाही हो रही है, वह हैरान करने वाली है। डाक विभाग की मनमानी का खामियाजा नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। विभाग में तैनात डाकिये आधार कार्डो को घर-घर बांटने की बजाय मोहल्ले में एक ही आदमी को सौंप जाते हैं जिससे आधार कार्ड सभी नागरिकों को नहीं मिल पाते हैं। आधार कार्ड पर प्रार्थी का पूरा पता लिखा हुआ है। डाक विभाग आम लोगों को देश का नागरिक होने के लिए बनाए गए आधार कार्डो को कितना तवज्जो दे रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विभाग के कर्मचारी नागरिकों के आधार कार्डो को उनके पते पर नहीं पहुंचाते। पोस्टमैन को आधार कार्ड घर पर पहुंचाने चाहिए अथवा पोस्टमैन नागरिकता के प्रमाण-पत्र से खिलवाड़ कर रहे हैं।
विनोद शर्मा, ग्वालियर