चैम्पियंस ट्रॉफी: जीत के इरादे से उतरेगी टीम इंडिया
बर्मिंघम | बेहतरीन फार्म में चल रहा भारत कल आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी के फाइनल में मेजबान इंग्लैंड को हराकर 50 ओवर के क्रिकेट में लगातार दूसरा बड़ा खिताब जीतने के इरादे से उतरेगा। महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में गत विश्व चैम्पियन भारत ने अंतिम बार आयोजित हो रही चैम्पियन्स ट्राफी में अपने सभी चारों मैच आसानी से जीतकर फाइनल में प्रवेश किया है। दूसरी तरफ इंग्लैंड की टीम 50 ओवर के प्रारूप में पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने के लक्ष्य के साथ उतरेगी। कोलंबो में 2002 में श्रीलंका के साथ चैम्पियन्स ट्रॉफी का उप विजेता रहा भारत गत विश्व चैम्पियन और आईसीसी रैंकिंग में दुनिया की नंबर एक टीम है। एजबस्टन में हालांकि कल टीम की प्रतिष्ठा और आंकड़े अधिक मायने नहीं रखेंगे जहां कौशल और मानसिक मजबूती की असली जंग होगी।
पिछले दो दशक में विश्व कप और चैम्पियन्स ट्रॉफी के फाइनल में शिकस्त झेलने वाली इंग्लैंड की टीम भारत के खिलाफ घरेलू हालात का फायदा उठाने की कोशिश करेगी। भारत का फाइनल का सफर जहां आसान रहा वहीं इंग्लैंड ने अहम मैचों में अपने प्रदर्शन में सुधार करके खिताबी मुकाबले में जगह बनाई।
मेजबान टीम ने पहले सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को सात विकेट से हराया लेकिन हार के अंतर से अधिक मायने यह रखता है कि विरोधी टीम के मजबूत बल्लेबाजी क्रम को इंग्लैंड के गेंदबाजों ने 39 ओवर से कम में समेट दिया। भारत के बल्लेबाज बेहतरीन फॉर्म में हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले मैच को छोड़ दिया जाए तो टीम ने कभी दो से अधिक विकेट नहीं गंवाए। शिखर धवन और रोहित शर्मा की सलामी जोड़ी प्रत्येक मैच के साथ निखर रही है। ये दोनों अच्छी गेंदों को पूरा सम्मान दे रहे है और पहले 10 से 12 ओवर में खराब शाट खेलने से बच रहे हैं जिसका भारत को फायदा मिला है। धवन ने लगातार दो शतक की मदद से 332 रन बनाए हैं और रोहित के साथ टीम को दो शतकीय और दो अर्धशतकीय साझेदारियां दी हैं।
लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि भारत के मध्यक्रम की अभी असल परीक्षा नहीं हो पाई है। लेकिन पांचवें नंबर पर सुरेश रैना और छठे नंबर पर धोनी की मौजूदगी के बीच भारत के पास पर्याप्त अनुभव है।
जहां तक गेंदबाजी का सवाल है तो भुवनेश्वर कुमार, इशांत शर्मा और रविंद्र जडेजा ने अब तक शानदार प्रदर्शन किया है। उमेश यादव और रविचंद्रन अश्विन ने भी कुछ मौकों पर भारत को अहम सफलताएं दिलाई हैं।
जून का महीना इंग्लैंड में भारतीय क्रिकेट के लिए हमेशा विशेष होता है। टीम चैम्पियन्स ट्राफी के दो मैचों में इंग्लैंड से कभी नहीं हारी है और कल एजबस्टन में जीत लार्डस में 25 जून को भारत की पहली विश्व कप खिताबी जीत की 30 वषर्गांठ का शानदार तोहफा होगी। दूसरी तरफ इंग्लैंड का शीर्ष क्रम अच्छा प्रदर्शन कर रहा है जिसमें तीसरे नंबर पर जोनाथन ट्राट की मौजूदगी अहम है। दक्षिण अफ्रीका में जन्मा यह बल्लेबाज मौजूदा टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में तीसरे नंबर पर है। दायें हाथ का यह बल्लेबाज फाइनल में अपने घरेलू मैदान पर विशेष पारी खेलने के लक्ष्य के साथ उतरेगा। चैम्पियन्स ट्रॉफी का फाइनल कप्तान एलिस्टेयर कुक ने लिए भी विशेष है। वह किसी वैश्विक टूर्नामेंट में पहली बार इंग्लैंड की कप्तानी कर रहे हैं और टीम ऐतिहासिक खिताब से सिर्फ एक जीत दूर है।
इंग्लैंड का सबसे मजबूत पक्ष उसका तेज गेंदबाजी आक्रमण है। जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्राड और स्टीवन फिन की तिकड़ी अनुकूल हालात में शानदार प्रदर्शन कर रही है। कल फाइनल में एजबस्टन की पिच की प्रकृति और टास की भूमिका अहम रहेगी। सप्ताहांत बारिश की भविष्यवाणी की गई है और आसमान में बादल छाए रहने की उम्मीद है जिससे इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों को फायदा मिल सकता है।
शुरूआत में विकेट चटकाकर इंग्लैंड के गेंदबाजों ने टीम का पलड़ा भारी रखा है। एंडरसन, फिन और ब्राड ने 14 ओवर के भीतर दक्षिण अफ्रीका का स्कोर चार विकेट पर 50 रन कर दिया और इसके बाद आफ स्पिनर जेम्स ट्रेडवेल ने 19 रन पर तीन विकेट चटकाकर सेमीफाइनल को एकतरफा बनाने में अहम भूमिका निभाई।
ग्रुप मैच में श्रीलंका के कुमार संगकारा ने हालांकि नाबाद 134 रन की पारी खेलकर साबित किया कि इंग्लैंड के गेंदबाजों का सामना करना मुश्किल नहीं है और अगर थोड़ा धर्य दिखाया जाए तो सफलता मिल सकती है।