प्रतिकूल मौसम के बावजूद बचाए गए 1,000 लोग
देहरादून | उत्तराखंड की केदार घाटी में खराब मौसम पर विजय पाते हुए भारतीय सेना ने सैंकड़ों फंसे हुए पर्यटकों को निकाला। इस पर्वतीय राज्य में एक सप्ताह पहले बाढ़ और बादल फटने से कई जगहों में तबाही हुई थी। एक बयान के मुताबिक, सेना ने केदार घाटी के जंगल चट्टी इलाके के नजदीक पर्वतीय इलाके से रविवार को सभी 1,000 फंसे हुए तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
पर्वतीय तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सेना के पर्वतीय अभियान के विशेषज्ञ जवानों ने केदार घाटी के सबसे खतरनाक इलाके से 460 लोगों को पैदल निकाला। तीर्थयात्रियों को सोनप्रयाग से निकालने से पूर्व इन लोगों को गौरी कुंड सैन्य शिविर में भोजन, पानी, स्वास्थ्य सुविधा, कंबल और प्लास्टिक सीट दी गई। धारासु और बारकोट सेना शनिवार को हनुमान चट्टी पहुंची और रविवार सुबह जनक चट्टी एवं यमुनोत्री की तरफ गई और यमुनोत्री से सभी फंसे तीथयात्रियों को निकाला गया।सेना ने 'सूर्या होप' का तीसरी चरण रविवार को शुरू किया जिसका लक्ष्य को लोगों को सड़कों के रास्ते हारसिल, गौरीकुंड और बद्रीनाथ से निकालना है। खराब मौसम सेना को नहीं रोक पाई और वायु और थल दोनों तरफ से बचाव कार्य चलता रहा। सेना का हेलिकॉप्टर गोविंदघाट और जंगल चट्टी में दोपहर बाद तैनात किया गया। लगातार और अथक प्रयास की वजह से कुछ समय में ही लोगों को निकालने का काम समाप्त हो गया।
सेना ने लोगों को साफ-सफाई की चीजें, कम्बल, खाने की चीजें और दवाईयां भी भेजी। कई मुख्य बचाव केंद्र में 3000 किलोग्राम से अधिक खाद्य पदार्थ भेजे गए हैं।
जोशीमठ-बद्रीनाथ सड़क पर स्थित लाम बागर में अलकनंदा नदी के ऊपर बर्मा पुल बनाया गया है और इससे बद्रीनाथ से गोविंदघाट तक लोगों को पैदल लाने में सुविधा हो रही है। सेना ने 1300 लोगों को हर्सिल से उत्तरकाशी की 74 किलोमीटर की यात्रा पैदल और वाहन से पूरी करने के लिए प्रोत्साहित किया। सेना ने सड़क यात्रा करने वाले लोगों की सुविधा के लिए सुखी और गंगनानी में प्रशासनिक और संचालन सुविधा स्थापित किया है। भारतीय वायु सेना खराब मौसम के बावजूद लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने में सुबह से ही जुट गई। रविवार को वायु सेना ने दोपहर तीन बजे तक 2,094 लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया और इस दौरान 180 उड़ानें भरी गईं और 20,000 किलोग्राम राहत सामग्री गिराई गई। इस काम में सेना और राष्ट्रीय आपदा बचाव बल के 210 अधिकारी लगे हुए थे।
वायु सेना के 'आपरेशन राहत' अभियान के तहत 1,088 उड़ानें भरी गईं, 8222 लोगों को बाहर निकाला गया और 1,48,550 किलोग्राम खाद्य एवं अन्य सामग्री लोगों के लिए गिराई गई।