उत्तराखंड त्रासदी: बचाव कार्य अंतिम चरण में, जल्द पूरा होने की उम्मीद
देहरादून। उत्तराखंड में करीब 10 दिनों से लगातार चल रहा राहत व बचावकार्य अभियान आज भी जोरों शोरों से जारी है। अब तक लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। वहीं अब भी कई जगहों पर हजारों लोग फंसे हैं जिन्हें निकालने के लिए जवान अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। जबकि हर्षिल को पूरी तरह से खाली कराया जा चुका है।
बद्रीनाथ में अब भी करीब 1000 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने का काम जारी है। वहीं प्रभावित इलाकों से करीब दो हजार से ज्यादा लोग लापता हैं। कल सेना प्रमुख बिक्रम सिंह ने कहा था कि अगर मौसम ठीक रहा, तो जल्द ही सभी फंसे लोगों को निकाल लिया जाएगा। इसके अलावा कल देहरादून में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे गृहमंत्री सुशील शिंदे ने कहा था कि मलबे के नीचे कितने लोग दबे हैं, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।
पहाड़ों में हो रही बारिश से उत्तरकाशी में भागरथी नदी उफान पर आ गई है और पानी बढ़ता देख स्थानीय लोग काफी परेशान हैं। गंगा मंदिर के आसपास कटाव शुरू हो गया है। उत्तराखंड में कुदरत के कहर के बाद जहां हजारों लोग राहत के लिए आस लगाए बैठे हैं, वहीं देशभर से भेजी जा रही राहत सामग्री जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है। वजह यह है कि ऋषिकेश से आगे जाने के लिए सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है। हादसे के इतने दिनों बाद भी गुप्तकाशी का कालीमठ इलाका देश से कटा हुआ है और वहां किसी तरह की मदद अब तक नहीं पहुंची है। कालीमठ जाने के सभी रास्ते तबाह हो चुके हैं और पुल टूट चुके हैं। आधिकारिक रूप से अभी तक 822 लोगों के ही मारे जाने की पुष्टि की गई है। जबकि इस हादसे में एक हजार से भी ज्यादा लोगों के मरने की संभावना जतायी जा रही है। केन्द्र सरकार केदारनाथ से शिलाखंडों और मलबों को हटाने के लिए विमान से विशाल एक्सकैवेटर मशीनें भेजने की योजना बना रही है।