चीन ने लेह-लद्दाख में फिर की घुसपैठ
नई दिल्ली | चीन की सेना के लेह-लद्दाख सेक्टर में बीते दिनों घुसपैठ की घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी गहरा गया था। अब करीब दो हफ्ते पहले चीनी सेना ने एक बार फिर न केवल इस क्षेत्र में घुसपैठ की बल्कि स्थानीय लोगों को हिंदी भाषा में चेतावनी भी दी है। चीनी सेना ने एक कदम आगे बढ़ते हुए इस बार वहां लगे हाई रिजोल्यूश्न कैमरे को भी क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसे भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में करीब एक महीने पहले लगाया था।
इस घटना के सामने आने के बाद आर्मी हेडक्वार्टर बिल्कुल चुप्पी साधे हुए है। तीन जुलाई को चुसुल में दोनों देशों के बीच सैन्य अफसरों की फ्लैग मीटिंग के बाद भारतीय सेना के गश्ती दल को इन क्षतिग्रस्त कैमरों को लौटा दिया गया। यह घटना 17 जून को हुई थी, जब चीनी सेना के एक गश्ती दल ने भारतीय सीमा में घुसपैठ किया और चुमार के निकट दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में लगाए गए कैमरों को तोड़ दिया।
सैन्य सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अप्रैल माह में इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच तनाव गहराने के बाद इन कैमरों को लगाया गया था। इस दौरान भारतीय सेना ने अपने कुछ निर्मित चीजों को वहां से हटाया भी था। सेना ने टीन शेड को वहां से हटाने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के इस ओर हाई रिजोल्यूशन कैमरे को वहां चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए स्थापित किया था।
गौर हो कि चीनी सेना के गश्ती दल हिंदी भाषा के जानकार थे और इन लोगों ने स्थानीय लोगों को चेतावनी देते हुए क्षेत्र को खाली करने को लेकर धमकाया भी था। चीनी सेना इसे अपना क्षेत्र होने का दावा कर रही थी। इस घटना की जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भारत सरकार को दे दी थी। बाद में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने भी इस घटना की पुष्टि की थी। हालांकि इस पूरे मामले में चुप्पी साधने की कोशिश की गई क्योंकि सरकार किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय विवाद को जन्म नहीं देना चाहती थी। चूंकि उस वक्त केंद्रीय सत्ता का ध्यान उत्तराखंड बाढ़ की तरफ था। हैरत की बात यह है कि यह घटना उस समय सामने आई जब रक्षा मंत्री एके एंटनी का चीन दौरे पर जाना तय हो गया था। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि चीन की ओर से निरंतर घुसपैठ की घटना चीन की पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) और पीएलएन (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी) के बीच अंदरुनी लड़ाई का नतीजा है। चीनी नेतत्व के अंदर अपरोक्ष रूप से वर्चस्व की लड़ाई जारी है। यही कारण है कि दक्षिण चीन समुद्र और लेह लद्दाख सेक्टर में चीन का रुख आक्रामक है। गौर हो कि चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय डील के बाद भारतीय सेना चुमार सेक्टर में पेट्रोलिंग (गश्त) को बंद कर दिया है। हालांकि, 17 जून की घटना से यह साफ है कि चीन का रुख पहले की तरह ही इस क्षेत्र में आक्रामक बना हुआ है।