चीन, पाक के बाद म्यांमार ने मणिपुर में की घुसपैठ
इंफ़ाल | भारतीय सीमा में चीन और पाकिस्तान के लगादार युद्धविराम उल्लंघन और घुसपैठ की घटनाएं अभी ताजी ही है कि अब भारत को नए दुश्मन ने चुनौती दी है। म्यांमार सेना की टुकड़ी ने मणिपुर में चांदेल जिले के मोरेह में सीमा पर एक सुरक्षा चौकी बनाने और बाड़ लगाने की कोशिश की। इस जगह पर दोनों देशों के बीच बॉर्डर का कोई सीमांकन नहीं किया गया है
मिली जानकारी के अनुसार यह घुसपैठ मणिपुर के चंदेल जिले के मोरेह पुलिस स्टेशन से पांच किलोमीटर की दूरी पर हुई। यह इलाका 9 असम राइफल यूनिट के अधीन आता है, जो सीधा गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करता है। नई सीमा विवाद चंदेल जिले में आने वाले भारत-म्यांमार के 10 किलोमीटर सीमा के आसपास के इलाके को लेकर है।
म्यांमार सेना की एक पलटन (87 लाइट इफेंट्री) होलनफाई गांव में घुस आई और वहां अपने बेस कैंप के निर्माण के लिए तैयारियां शुरू कर दी। विदित हो कि होलनफाई गांव पर म्यांमार अपना दावा करता रहा है। यह गांव मणिपुर की राजधानी इम्फाल के दक्षिण-पूर्व में 100 किलोमीटर की दूरी पर है।
हालांकि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसे घुसपैठ मानने से इन्कार करते हुए कहा कि ये सभी गतिविधियां म्यांमार की सीमा के भीतर हुई हैं। उन्होंने कहा कि हमने इस मामले को म्यांमार सरकार के समक्ष उठाया और इसे सहमति से सुलझा लिया गया है।
असम राइफल्स ने भी गृह मंत्रालय को भेजी जानकारी में बताया कि म्यांमार के सैनिक भारतीय क्षेत्र में दाखिल नहीं हुए हैं। असम राइफल्स के अनुसार, 'हमने म्यांमार की सेना की तरफ से एक प्लाटून का मुख्यालय बनाने के लिए पिलर संख्या 76 पर पेड़ों को काटने से उन्हें रोक दिया है। क्योंकि इस पिलर का अभी सीमांकन नहीं हुआ है। लेकिन म्यांमार की सेना ने घुसपैठ नहीं की है। मणिपुर के राज्यपाल ने मंगलवार को मोरेह का दौरा कर अधिकारियों और गांव के प्रधानों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की।
इससे पहले सोमवार को राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च अधिकार प्राप्त समूह ने घटनास्थल का दौरा किया था। समूह जल्द ही इस पर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा।