जनमानस

अखिलेश के दामन पर दंगों के दाग

उत्तरप्रदेश में साम्प्रदायिक दंगों की आग एक बार फिर से सुलग उठी है। इसका एक ही कारण माना जा सकता है कि हमारे देश में गलत को गलत कहने में संकोच हो रहा है, जब हम गलत काम करने वाले व्यक्ति का विरोध नहीं करते तब इसका मतलब उस गलत व्यक्ति को बढ़ावा देने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। आज हमारे देश में सही सब चल रहा है। उत्तरप्रदेश के मेरठ में जो कुछ हुआ, उसका सच सबके सामने आ चुका है। अपने आपको अल्पसंख्यक समुदाय का मानने वाले युवा बेरोकटोक अवांछित गतिविधियां करते रहते हैं। जब इनको रोकने की कार्यवाही की जाती है, तब दंगों का खेल शुरू हो जाता है। हमारे देश में हमेशा ही यह देखा जाता है कि जहां भी इस वर्ग की संख्या अधिक होती है, वहां दंगे होना मामूली बात है। और जहां हिन्दू बहुतायत में होते हैं, वहां कभी नहीं होते इसका सीधा मतलब यह भी होता है कि हिन्दू संवेदनशील होता है। आज जिस प्रकार से कांगे्रस और सपा द्वारा साम्प्रदायिक दंगों के लिए भाजपा को कठघरे में खड़ा किया जाता है, वह सब वोट प्राप्त करने के लिए राजनीतिक खेल है, जो लम्बे समय से खेला जा रहा है।
इसके विपरीत देखा जाए जो आज मुसलमान अगर सबसे ज्यादा सुरक्षित है तो वह भाजपा शासित राज्यों में ही है।

सुरेश हिन्दुस्तानी, ग्वालियर


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