जनमानस
पैर पसारती अपसंस्कृति
देश में लड़कियों की सुरक्षा के प्रति जो आवाज उठी तथा युवक-युवतियों को पूर्ण अधिकार मिले पर उस आजादी की मर्यादा लांघकर युवा समाज भटकता जा रहा है। भारत की संस्कृति को खंडित नहीं होने दिया जाना चाहिए। लज्जा व पूर्ण श्रंृगार नारी जाति का महत्वपूर्ण अधिकार है और इससे ही वह सुन्दर लगती है पर वर्तमान में शहरों में भोगवादी संस्कृति का फैशन चल रहा है। एक ओर बिना शादी किए मर्यादा को खंडित करना तथा दूसरी ओर खुलेआम नशे का शिकार होता युवक-युवतियों का यह कारवां हमें गलत राह पर ले जाएगा। हमने देखा कि कल तक शराब की दुकानों के प्रति जिस प्रकार लड़ाई सड़कों पर देखी गई तथा प्रदेश सरकार की शराब नीति का विरोध हुआ, जिससे नशे की लत में फंसे युवाओं तथा आम जन के प्रति महिलाओं ने भी मोर्चा खोला पर इस बात के उल्टे आधुनिकता के रंग में शहर के माहौल में जिस प्रकार पूर्ण मदहोश अवस्था में लड़कियों का हर रोज रोड पर हंगामा क्या संदेश शहर को दे रहा है? यह भटकते युवक-युवतियों को दिशा दिखाने हेतु हमें जाग्रत होना ही होगा।
हरिहरसिंह चौहान, इन्दौर