देश का उत्थान केवल सामान्य जनता ही कर पाएगी : भागवत

देश का उत्थान केवल सामान्य जनता ही कर पाएगी : भागवत
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जबलपुर | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने दो टूक प्रतिपादन किया की, देश का उत्थान केवल और केवल सामान्य जनता के द्वारा ही संभव है। उन्होंने यह भी कहा की, संघ का प्रयास समुचे समाज को ऐसे परिवर्तन के लिए तयार करने का है और वह पिछले 88 वर्षों से लगातार चला आ रहा है।
जबलपुर में रा. स्व. संघ के महाकोशल प्रांत के संकल्प महाशिविर का समापन रविवार को हुआ। इस समारोह में डॉ. भागवत सभा को संबोधित कर रहे थे। डॉ. भागवत ने कहा की, देश का उत्थान केवल किसी व्यक्तिविशेष, राजनैतिक दल या संस्था के बलबूतेपर संभव नहीं होता, उसके लिए समाज के संस्कारसंपन्न, संसुगठित, संकल्पित होने की आवश्यकता होती है। सामान्य जनता के ऐसे सुसंगठित शक्ती से ही देश का उत्थान संभव है। इसीलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 88 सालों से समाज को संगठित करने में जुटा है।
डॉ. भागवत ने कहा की, पूरे देश में संगठित समर्पित वातावरण निर्माण करने के में संघ को सराहना और प्रताडना दोनोंही का सामना करना पडा है। उन्होंने स्वयंसेवकों से अपील की कि, समाज की मनोभूमिका चाहें जैसी हो। संघ को हर हाल में समाज का स्विकार करना होगा। क्यों कि, समाज के स्थिती का स्विकार किए बिना उसे जागरुक करने का कार्य संभव नहीं होगा।
डॉ. भागवत नें समारोह में उपस्थित माता-भगिनी तथा संघहितैषि नागरिकों को समाज को जोडने के संघ के प्रयासों में सम्मिलित होने का अपील करते हुए कहा, संघ को अपने भले का ठेका न दें। केवल संघ की सराहना करने से काम नहीं बनेगा। अपने नेतृत्त्व, वक्तृत्त्व, भक्ति, शक्ति को सजाकर समाज की सेवा में लगाना होगा। इसके लिए सभी को प्रयास करने पडेंगे। समाज का हर एक घटक अपनीअपनी रुची के क्षेत्र में सारे संस्कार लेकर खडा होगा, उसे सही दिशा देगा तभी पूरा देश खडा होगा। डॉ. भागवत ने आगे कहा की, जब हमारा राष्ट्र एकरस, एकात्म भाव लेकर पूरे आत्मविश्वास के साथ खडा होगा तभी सारा विश्व भी खडा होगा।
डॉ. भागवत ने अपने भाषण के शुरुआती भाग में समुचे विश्व में जिन समस्याओं के प्रति समाजवैज्ञानिक सबसे ज्यादा चिंत है ऐसी समस्याओं की जानकारी दी, तथा योगी अरविंद, सुभाषचंद्र बोस, स्वातंत्रवीर सावरकर जैसे महानुभावों का अपने देश की मूलभूत समस्याओं के प्रति क्या आकलन था इसकी भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, अपने समाज के अंदर कई प्रकार के दोष है। इन दोषों को दूर किए बिना राष्ट्र का उत्थान संभन नहीं है ऐसा इन सभी महानुभावोंका कहना था। इसीलिए डॉ. हेडगेवार ने समाज को सुसंगठित बनाते हुए उसके दोष दूर करने की व्यवस्था निर्माण करने के उद्देश से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।
1925 में संघ की शुरुआत हुई। उसके पूर्व स्थितियां इतनी बिगडी हुई थी की, लोग स्वयं के हिंदू कहने से हिचकिचाते थे। पिछले 88 वर्षों में संघ के प्रयासों के कारण स्थितियां काफी बदली हुई है। हिंदू शब्द, जिसके प्रती किसी समय काफी अपमानित भावना होती थी, आज एक सम्मानजनक शब्द बन गया है। आम हिंदू आज सर ऊपर करके चल सकता है। समाज को संघठित करने के जो प्रयास संघ ने किए, समाजजीवन के अन्यान्य क्षेत्रों में स्वयंसेवकोंने जो प्रयास किए उसी साधना का यह फल है।

समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए संघ कार्यरत : भैयाजी जोशी

समाज में सकारात्मक परिवर्तन आना चाहिए, इस विचार से संघ कार्य करता है। संघ यानी भारतभक्ति के भाव को धारण कर एक विचार, एक दिशा में चलनेवाले लोगों का समूह। संघ देश के प्रति कर्तव्य की भावना रखनेवाले स्वयंसेवकों का संगठन है। उक्त विचारों को व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने संघ की संकल्पनाओं को स्पष्ट किया। सरकार्यवाह जबलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महाकौशल प्रान्त द्वारा आयोजित “संकल्प महाशिविर” के उदघाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विगत 88 वर्षों से अपने सामाजिक और राष्ट्रीय सेवाकार्यों के कारण देश में एक ‘सज्जन शक्ति’ के रूप में संघ को देखा जा रहा है।

विश्व का हर छठा व्यक्ति हिन्दू

हिन्दू समाज को संगठित होने की आवश्यकता पर बल देते हुए सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि दुनिया का हर छठा व्यक्ति हिन्दू है। इतनी बड़ी संख्या होने के बाद भी हिन्दू समाज पूजा पद्धति, भाषा और प्रान्त के नाम पर बंटा हुआ है। हिन्दू समाज को अपने इस संकुचित विचारधारा से बहार आना होगा। जबतक हम सब एक नहीं होंगे, तबतक हमें मजबूती नहीं मिल सकती। इसलिए हम हिंदुओं को संगठित कर उन्हें सक्रिय करना चाहते हैं। हम समरस और शक्तिशाली हिन्दू समाज चाहते हैं, ताकि उनके माध्यम से भारत को समृद्ध और सुरक्षित बनाया जा सके। जहां-जहां हिन्दू समाज है, वहां-वहां संघ पंहुchच रहा है। संघ बढ़ रहा है।

संकल्प महाशिविर में सज्जनशक्ति का विराट दर्शन

सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने आगे कहा कि इस संकल्प महाशिविर में हमें सज्जन शक्ति के दर्शन हो रहे हैं और यह वह शक्ति है, जो देश के अलग-अलग क्षेत्रों में रह रहे हिन्दुओं को जोड़ने का कार्य करती है। सन् 1925 से स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य हिन्दू धर्म के प्रत्येक वर्ग चाहे वह धनवान हो या गरीब, हिमाचल प्रदेश का निवासी हो अथवा केरल या फिर मणिपुर का नागरिक, प्रत्येक स्थान पर निवास करनेवाले हिन्दुओं को आपस में जोड़ने एवं उनके मन में स्वाभिमान की भावना का संचार करना ही संघ का लक्ष्य रहा है।

संघ को लेकर भ्रम और भय फैलाया जाता है

सरकार्यवाह ने आगे कहा कि अनुशासन ही संघ की पहचान है। लेकिन कुछ लोगों द्वारा संघ पर साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाया जाता है, जिससे कि समाजमन में संघ के प्रति भय निर्माण किया जा सके। संघ ने कभी भी किसी का विरोध नहीं किया और न ही किसी के प्रति द्वेष भावना रखकर कोई काम किया। देश एवं विदेशों में रहनेवाले हिन्दुओं को एकजुट करते हुए उनके मन में देशप्रेम की भावना का संचार करना ही संघ की अभी तक की उपलब्धि रही है और विश्व के लगभग 45 देशों में यह कार्य निरंतर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कई माह से संकल्प महाशिविर की तैयारियां की जा रही थीं और आज इस महाशिविर में बड़ी संख्या में युवा वर्ग का सहभागी होना, इस आयोजन की सार्थकता को प्रमाणित करता है। उन्होंने आह्वान किया कि शिविर समाप्त होने के बाद यहां से प्रत्येक स्वयंसेवक यह संकल्प लेकर जाए कि वह अपने स्वधर्मी लोगों को आपस में जोड़ने के लिए प्रयत्नशील रहेगा।
विजय नगर स्थित विशाल विवेकानन्दपुरम में शुरू हुए इस शिविर का शुभारंभ एकल गीत ‘पूर्ण विजय संकल्प हमारा’ के साथ हुआ और इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत प्रमुखता से उपस्थित थे। इस दौरान व्यासपीठ पर विभाग संघचालक एवं संकल्प महाशिविर आयोजन समिति के डॉ. माणिकचंद गुप्ता (सतना), रामकुमार शर्मा (रीवा), डॉ. गौरीशंकर चौबे (शहडोल), प्रदीप श्रीवास्तव, रवीन्द्र श्रीवास्तव, भजनलाल चौपड़ा (छिंदवाड़ा), रामदत्त चक्रधर भोपाल, सह क्षेत्र प्रचारक (जबलपुर) अरुण जैन, क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेन्द्र जैन, शिवराम समदड़िया (रायपुर) एवं नई दिल्ली से आए विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री धर्मनारायण शर्मा भी विशेष रूप से मौजूद रहे।

महाशिविर की महा-व्यवस्था
शिविर स्थल पर विभिन्न अस्पतालों से जुड़ीं एम्बुलेंस एवं नगर निगम की फायर ब्रिगेड सहित कई वाहन भी दिनभर तैनात हैं, ताकि किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति से आसानी से निपटा जा सके। शिविर स्थल पर स्वयंसेवकों को किसी भी प्रकार की शारीरिक पीड़ा से बचाने धनवंतरी चिकित्सालय की व्यवस्था भी की गई है। साथ ही भोजन व्यवस्था एवं बड़ी संख्या में स्नानागार भी बनाए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि संकल्प महाशिविर में शामिल होने शहडोल, अनूपपुर, कटनी, सतना, रीवा, सागर, छत्तरपुर, मण्डला, डिण्डोरी, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट आदि सहित 29 जिलों से हजारों स्वयंसेवक गणवेश धारणकर जबलपुर पहुंचे हैं। शिविर में 1 लाख से अधिक स्वयंसेवक सहभागी है।







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