प्रवेश निरस्त करना पड़ा भारी

जीविवि को देना पड़ेगा पांचलाख का मुआवजा 


ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय की लापरवाही की वजह से छात्रों का एक वर्ष खराब हो गया। ऐसे में छात्र मुआवजा के हकदार है। उक्त टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति एस.के. गंगेले व न्यायमूर्ति रोहित आर्य की युगलपीठ ने जीवाजी विश्वविद्यालय को एम.एड. पाठ्यक्रम के सत्र 2013-14 में प्रवेश लेने वाले पांच छात्रों को एक एक लाख रुपए का मुआवजा दो माह में देने का आदेश दिया है।
कौशल किशोर चतुर्वेदी व चार अन्य छात्र ने याचिका दायर करते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय को एम.एड. पाठ्यक्रम के सत्र2013-14 की परीक्षा आयोजित करने का निर्देशित करने व दो लाख रुपए का मुआवजा दिलाने की मांग की। उनका पक्ष रखते हुए अभिभाषक अजय भार्गव ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय ने एम.एड. पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए परीक्षा आयोजित की थी। जिसे उत्तीर्ण करने के बाद विश्वविद्यालय ने काउंसिलिंग के माध्यम से याचियों को कॉलेज आवंटित किए। प्रक्रिया का पालन करते हुए याचियों ने ट्यूशन शुल्क व अन्य शुल्क के रूप में लगभग ३2,000 रुपए जमा भी किए। लगभग सात माह पढऩे के बाद विश्वविद्यालय ने स्टेडिंग कमेटी के आदेश का पालन करते हुए याचियों का प्रवेश यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि आरजीवीटी कालेज उरवाई गेट व पातीराम शिवहरे शिक्षा महाविद्यालय भिण्ड को विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त नहीं है। इस पर न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि विश्वविद्यालय ने ही प्रवेश परीक्षा कराई और काउंसिलिंग की प्रक्रिया अपनाते हुए छात्रों को कॉलेज आवंटित किया। ऐसे में पीडि़त छात्र मुआवजा पाने के हकदार हंै। 

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