जनमानस
धन कुबेर जनप्रतिनिघि
महाराष्ट्र में चुनाव लड़े विधायकों की औसत सम्पत्ति में 164 फीसदी का इजाफा हुआ। 2009 में इन विधायकों की औसत सम्पत्ति 4.95 करोड़ थी, जो पांच साल में 13.15 करोड़ रुपए पहुंच गई है। इसके आगे सरकार में व बैंकों में एफडी कराने की योजना विफल होती जा रही है। दूसरी तरफ हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हंै, जिन्होंने पीएम की कुर्सी संभालने के बाद अपनी सम्पत्ति बढ़ाई नहीं, बल्कि उसमें चालीस लाख रुपए की कमी हो गई है। उ.प्र. के विधायक चाहते हैं कि उनका वेतन पचास हजार रुपए प्रतिमाह हो। 403 माननीयों की कुर्सियों पर 271 करोड़पति विराजमान हैं। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा की 67 फीसदी सीटों पर धन कुबेरों का कब्जा है। इस कारण से आम व गरीब लोगों का चुनाव लडऩा और लोकसभा तथा विधानसभा में पहुंचना दूर की कौड़ी होता जा रहा है। यही वजह है कि विश्व में ख्यात हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अब आर्थिक प्रदूषण के दाग लगते जा रहे हैं और गरीबों के मसीहाओं की परिभाषा बदलती जा रही है।
नीरज कुमार, भितरवार