जनमानस
कथित संत रामपाल की माया
अभी कथित संत आशाराम के कर्म काण्डों का पर्दाफाश हुआ और हवालात में बैठ कर जेल की रोटियां तोड़ रहे है। आशाराम के भी बाप निकले कथित संत रामपाल जो टैक्नोलॉजी के द्वारा भक्तों को चमत्कृत कर उन्हें अपना दास बना लेते थे, करीब 70 एकड़ में फैला सतलोक आश्रम में किसी स्वयंभू सरकार की तरह अनैतिक कर्मकाण्डों में लिप्त रहे, न्यायालय के आदेशों की अवेहलना करते रहे, उन्हें गिरफ्तार करने के लिए करीब 50 करोड़ रुपए सरकार को खर्च करने पड़े थे। ये संत है। तो फिर असंत कौन?
ड्रग्स, श और अश्लील सामग्री का जखीरा रखने वाले समाज के कथित संतों को जेल में डालने की जगह तो शीघ्र अतिशीघ्र कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर सजा-ए-मौत दे देनी चाहिए। उक्त संतों के कारनामों से निश्चत ही सम्पूर्ण संत समाज बदनाम हुआ है। संतों के प्रति आस्था तो ठीक है। अंध आस्था नहीं रखनी चाहिए, जब हम किसी को भगवान मानकर पूजने लगते है। हम खुद उसे शैतान बना देते है।
धर्म गुरु हमें सिर्फ भटकाते है। जनमानस को थोड़ा संयम और होश पूर्वक रामपाल बाबा जैसे शैतानों से बचना चाहिए।
कुंवर वीरेन्द्र सिंह विद्रोही, ग्वालियर