जनमानस
अंग्रेजी की चिंता में राहुल
मोदी अंग्रेजी खत्म करना चाहते हैं, राहुल गांधी का यह बयान राष्ट्रीय भाषा और हिन्दुस्तान वासियों की खिलाफत को व्यक्त करता है। अंग्रेजी भाषा और अंग्रेजी संस्कारों के दुष्प्रभावों में जकड़ा भारत दुनिया में अपने निशेष हिन्दी स्थान से वंचित रहे इससे ज्यादा राष्ट्रीय शर्म की बात और क्या होगी। आज प्रधानमंत्री मोदी विदेश दौरे में हिन्दी में अपनी बात रखकर राष्ट्र का गौरव बढ़ा रहे हैं और फिर उनका हिन्दी में भाषण देना अंग्रेजी को खत्म करने का प्रयास कैसे हो सकता है। दुनिया में चीन ने चीनी भाषा को शिखर पर पहुंचाया है तब वहां अंग्रेजी की ऐसी चिंता क्यों नहीं दर्शायी जाती क्या राहुल गांधी इस बात को समझेंगे। नेहरू हो या इंदिरा जी उन्होंने भी तो हिन्दुस्तान के लिए हिन्दी का अर्थ समझा था। राहुल गांधी ऐसे बोलों से कांग्रेस की और दुर्गति को प्राप्त हो रहे हैं। आखिर उनकी मां व वे खुद क्यों अपनी सभाओं में टूटी-फूटी हिन्दी का प्रयोग करते हैं। क्या जनसभाओं में वे हिन्दी और सरकारी कामकाज में अंग्रेजी से जनता के विरोधी नहीं हो रहे हैं।
हरिओम जोशी, भिण्ड