जनमानस
बहादुरी के साथ असंवेदनशीलता की भी हो चर्चा
हरियाणा में एक चलती बस में दो लड़कियों ने लड़कों की छेडख़ानी का जिस तरह से प्रतिरोध किया है उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है तथा उन बहादुर लड़कियों को कई तरह के सम्मान तथा पुरस्कारों से नवाजे जाने की होड़ सी लगी हुई है। बस के कन्डक्टर तथा ड्रायवर को निलंबित कर दिया गया है।इसमें कोई शक नहीं कि दोनों लड़कियों ने जिस बहादुरी का परिचय दिया है उसके लिए उनकी जितनी भी तारीफ की जाये कम है। लेकिन बस में बैठे यात्रियों का लड़कियों की मदद के लिए आगे न आना गम्भीर चिन्ता का विषय है। इस असंवेदनशीलता की जितनी चर्चा होनी चाहिए, उतनी नहीं हो रही है। घटना का वीडियो हमारी असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा की कहानी बयां कर रहा है। सिर्फ लड़कियों की बहादुरी की चर्चा करके हम अप्रत्यक्ष रूप से बस में बैठे लोगों की निष्क्रियता को ही प्रश्रय दे रहे हैं। हकीकत यह है कि बस में बैठे लोगों की निष्क्रियता एवं असंवेदनशीलता के कारण ही लड़कियों को मजबूरी में उन लड़कों से जूझना पड़ा। इसके साथ ही इस घटना का एक महत्वपूर्ण पहलू मीडिया की अति सक्रियता भी है, वरना ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटनायें पहले न घटी हों। लड़कियों की बहादुरी के साथ बस में बैठे लोगों की असंवेदनशीलता एवं निष्क्रियता तथा मीडिया की अति सक्रियता की भी चर्चा होनी चाहिए।
प्रो. एस. के. सिंह, ग्वालियर