जनमानस
संसद में मर्यादा लांघने का इतिहास
तेलंगाना मुद्दे पर तेल की धार में मिर्ची का झोंक व नमक छिड़कने ने जो उग्र रूप धारण किया कि सदन की मर्यादाएं तार-तार होकर बिखर रही थी। देश का जनमानस सोच रहा था कि ऐसी उम्मीद हमारे जनप्रतिनिधियों से नहीं की थी। एक दूसरे को नीचा दिखाने, अपना उल्लू साधने को सिद्ध राजनेता जनता का हित चिंतन तो स्वहित की बलिवेदी पर चढ़ चुका है। आश्वासनों, घोषणा व वादों में माहिर अपने स्वार्थ साधने में लगे हैं। परहित व परोपकार की परिभाषा कोरे शब्दों में सिमट कर रह गई हैं।
प्रदीप शर्मा, दतिया
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