ज्योतिर्गमय

सरकारी बैसाखियों की दरकार क्यों?


जैन समाज (पंथ) को केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने अल्पसंख्यक घोषित किया है, जो बेहद दुखद है, क्योंकि यह फैसला हिन्दू समाज को तोड़ऩे व चोट पहुंचाने के लिए शरारतपूर्ण कदम है। साथ ही यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक बेहद सम्पन्न समाज ने स्वयं को गैर हिन्दू कहकर यह दर्जा प्राप्त किया है। सब जानते हैं कि जैन समाज के लोग राजनीति, उद्योग, शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्रों में आम हिन्दुओं से कई गुना आगे हैं। उन्हें फिर सरकार की बैसाखियों की जरूरत क्यों? हिन्दू समाज 6000 से अधिक जातियों में बँटा है। इनमें से अनेक समूह तो जैनियों से भी कम संख्या में हैं व उनके रीति-रिवाज व देवी-देवता भी अलग हंै। ऐसी दशा में जब वे देखेंगे कि जैन समाज अपने को अल्पसंख्यक घोषित करवा कर वी.आय.पी. बन गया है तो वे भी कहेंगे कि वे भी हिन्दू से अलग हंै, जो सभी सेक्युलर व कांग्रेसी तो चाहते ही हैं।

राजवीरसिंह, इन्दौर

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