जनमानस
अश्लील वेबसाइट्स प्रतिबंधित हो
वर्तमान समय में इन्टरनेट पर अश्लील (पोर्न) साइट्स की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। हमारी हाइटैक होती युवा पीढ़ी चाव से देख रही है। जिसका दुष्परिणाम भी हम समाज में देख रहे है। तमाम करीबी रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। समाज में आए दिन दुष्कर्म की घटनाएं आम हो गई है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तमाम अश्लील साइट्स को शीघ्र बंद करने की बात केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत की थी जिसे हमारी नाकारा सरकार जो महिलाओं का विशेष सम्मान करती है। यह कहकर बंद करने से मना किया कि उक्त साइट्सों पर जो शब्दावली है वह प्रतिबंधित होने से अन्य साइट्स भी बंद हो जाएगी, इसलिए पोर्न साइट्स को बंद नहीं किया जा सकता, वाह! क्या खूब तर्क दिया है।
जब चीन ने अश्लील बेवसाइट्सों को बंद कर दिया है।जब उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तब भारत पर क्या खास प्रभाव पड़ेगा, अश्लील साइट्स अश्लील लुगदी साहित्य से कहीं अधिक खतरनाक है। पहले के युवा कथित साहित्यकार मस्तराम का अश्लील साहित्य को चोरी छुपे पढ़ा कर अपना समय पास कर लिया करते थे आज का युवा लेपटाप और मोबाइल पर पार्क-मॉल सरेराह धड़ल्ले से अश्लील फिल्मों को देखता दिखता है। निश्चित ही यह खतरनाक जहर है। इसे प्रतिबंधित करना चाहिए।
कुंवर वीरेन्द्र सिंह विद्रोही, ग्वालियर