भारतीय शांतिरक्षकों सहित 106 लोगों को मिलेगा संयुक्त राष्ट्र का मैडल

इस्लामाबाद। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में पिछली साल अपनी ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले आठ भारतीय सैनिकों समेत कुल 106 सैन्य,पुलिस और असैन्य कर्मियों को इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के मैडल से मरणोपरांत सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें ड्यूटी के दौरान साहस दिखाने और बलिदान के लिए प्रदान किया जाएगा। वहीं डैग हैमस्र्कजोल्ड मेडल 29 मई को दिया जाएगा।
सम्मानित किए जाने वाले भारतीय शांतिरक्षकों में लेफ्टिनेंट कर्नल महिपाल सिंह,लांस नाइक नंद किशोर जोशी, हवलदार हीरालाल, नायब सूबेदार शिवकुमार पाल और हवलदार भारत सासमल के नाम हैं। ये जवान दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन में तैनात थे और पिछले साल अप्रैल में जोंगलेई राज्य के पास 200 हमलावरों द्वारा किए गए हमले में मारे गए थे।
सूबेदार धर्मेश सांगवान और सूबेदार कुमार पाल सिंह पिछले साल दिसंबर में अकोबो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के शिविर पर हुए हमले में मारे गए थे। कांगो में संयुक्त राष्ट्र के स्थिरता मिशन (एमओएनयूएससीओ) में शांतिरक्षक के रूप में तैनात सिपाही रामेश्वर सिंह की मौत फरवरी 2013 में हो गई थी। शहीद हो चुके शांतिरक्षकों और अभी भी सेवारत लोगों के सम्मान में कई संस्मारक समारोहों का आयोजन शांतिरक्षक दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून शांतिरक्षक स्मारक पर शहीद शांतिरक्षकों के सम्मान में औपचारिक पुष्पहार-अर्पण समारोह में शिरकत करेंगे। एक समारोह के दौरान बान अपना वक्तव्य देंगे। इस समारोह के दौरान ही वर्ष 2013 में अपनी जान देने वाले 106 शांतिरक्षकों के लिए डैग हैमस्र्कजोल्ड मेडल दिया जाएगा। यह दिन अंतरराष्ट्रीय संयुक्तराष्ट्र शांतिरक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मेडल का नाम संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव के नाम पर रखा गया है। भारत संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षक अभियानों में सबसे ज्यादा सैनिक भेजने वाले देशों में से एक रहा है।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के 10 महत्वपूर्ण शांतिरक्षक अभियानों में कुल 8,132 भारतीय सैनिक तैनात हैं। इनमें से 429 सैनिक हैती में, 4,034 सैनिक कांगो में, 193 सैनिक गोलन हाइट्स में, 894 सैनिक लेबनान में, 250 सैनिक लाइबेरिया में और 8 सैनिक कोट डी-आइवरी में तैनात हैं। हैमस्र्कजोल्ड एक स्वीडिश राजनयिक थे जो 1961 में एक संदिग्ध विमान हादसे में मारे गए थे। उन्हें मरणोपरांत नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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