जनमानस
जनाकांक्षाओं के रथ पर सवार
आखिर अच्छे दिन आ ही गए और मोदीजी ने वह कर दिखाया जो सम्राट चन्द्रगुप्त ने मगध नरेन्द्र निरंकुश राजा नंद की सत्ता को अपदस्थ कर के किया था। राजसत्ता जब निरंकुश और अत्याचारी हो जाती है तो जनमानस में से ही एक नागरिक आगे आता है और अपनी संगठन एवं नेतृत्व क्षमता के बल पर रक्त रंजित और रक्तहीन दोनों ही प्रकार की क्रांति कर के देश को अत्याचारी शासक से मुक्ति दिलाता है। मोदीजी ने भी वही किया और पिछले दस सालों से देश की सत्ता पर काबिज अत्याचारी और निरंकुश शासन से देश को मुक्त किया। भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में इस प्रकार की लोकतांत्रिक क्रांतियां पूर्व में भी होती रही हैं और देश की जनता ने अनेक बार निरंकुश सत्ताशीधों को सत्ता से वनवास दिया है और आगे भी जनमानस ऐसी ही रक्तहीन लोकतांत्रिक क्रांतियां करता रहेगा। नि:संदेह मोदी जी को आज जनता ने जिन आकांक्षाओं, आशाओं एवं विश्वास के साथ विशाल और निर्णायक जनादेश दिया है उन आकांक्षाओं, आशाओं एवं विश्वास की कसौटी पर मोदी जी को खरा उतरना ही उनकी सबसे बड़ी चुनौती भी है। देश की जनता ने देश की सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार, बेरोजगारी एवं महंगाई के समाधान का दायित्व मोदी जी को सौंपा है। जनता पिछले शासकों से इन्हीं समस्याओं से सबसे ज्यादा त्रस्त थी और उसको अब इन्हीं समस्याओं का समाधान मोदी जी से चाहिए। इन चुनौतियों के भंवर से अपने दल की सत्ता की नौका को पार उतारना मोदी जी के प्रति देश के विश्वास की कसौटी है। ईश्वर से प्रार्थना है जनाकांक्षाओं के रथ पर सवार मोदी जी जनाकांक्षाओं की कसौटी पर खरे उतरें और भारतवर्ष फिर से विश्वगुरु बने।
नीति पाण्डेय, ग्वालियर