तीन का परमिट, दर्जन भर सवारियां
यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे ऑटो चालक
श्योपुर । शहर में तिपहिया वाहनों के तौर पर दौड़ रहे ऑटो जहां यातायात विभाग के नियमों को नजर अंदाज कर रहे हैं वहीं उनके चालकों और मालिकों ने कथित यूनियन के नाम पर अपनी दबंगता और मनमानी का परिचय देना जारी रखा हुआ है, जिससे स्थानीय व आगंतुक यात्रियों की फजीहत हो रही है। मनमाने तरीके से नियम-कायदे तय करते हुए अमल में लाने के आदी हो चुके तिपहिया वाहनों के चालकों को अब न तो सवारियों की सुविधा-असुविधा की चिंता रही है और न ही किसी दुर्घटना की आशंका। वह सिर्फ अधिक से अधिक पैसा कमाने की चाह में सवारियों को वाहन में जानवरों की तरह ठूंस-ठूंस कर भर रहे हैं, जिन्हें यातायात विभाग और पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना देख रहा है।
ज्ञातव्य है कि परिवहन विभाग द्वारा शहर में दौड़ रहे ऑटो जैसे वाहनों को टैक्सी परमिट के तहत तीन सवारियों को बिठाने की अनुमति दी गई है, लेकिन चालक बेखौफ होकर तीन की जगह आठ से दस तक सवारियों को आगे-पीछे बिठा रहे हैं। कुछ आटो चालक तो यात्रियों को ऑटो के पीछे भी लटका लेते हैं, जिससे दुर्घटना की आश्ंाका बनी रहती है। इन कार्रवाई न होना आटो चालकों और पुलिस के बीच साठगांठ को उजागर कर रहा है। नागरिकों ने प्रशासनिक अधिकारियों व यातायात पुलिस से ओवर लोड आटो चालकों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
मनचाहा करने की खुली छूट
सड़कों पर स्थायी और अस्थायी अतिक्रमणों की भरमार होने के कारण जहां नगरवासियों का पैदल चलना मुश्किल हो रहा है, वहीं सड़कों पर बेतरतीब ढंग से खड़े या आड़े-तिरछे घूमते तिपहिया वाहनों की वजह से आवागमन जोखिमपूर्ण बना हुआ है। कहीं से भी कभी भी प्रकट होकर फर्राटा भरने के अंदाज में गुजरते वाले ऑटो अभी तक एक सैकड़ा से अधिक दुर्घटनाओं का कारण बन चुके हैं लेकिन हादसों के बाद प्रशासन द्वारा बरती जाने वाली तत्परता चार दिन की चांदनी साबित होने से अधिक कुछ नहीं रही है। जिला मुख्यालय के प्रमुख मार्ग पाली रोड, बड़ौदा रोड और शिवपुरी रोड पर सफर करने वाले यात्री भी उन चालकों की मनमानी से परेशान हैं जो संगठित होकर वाहनों को क्रम से तब तक रवाना नहीं करते जब तक कि उसमें सवारियां भेड़-बकरियों की तरह से न भर जाएं।
वहीं शहर में तीन से चार सैकड़ा तिपहिया वाहन जायज-नाजायज तरीके से संचालित किए जा रहे हैं जबकि इसी तरह के बड़े वाहनों की संख्या भी आधा सैकड़ा के आसपास पहुंच चुकी है।
हृदयस्थल पर लगता है चौतरफा जाम
अव्यवस्थित तरीके से सड़कों पर दौडऩे या खड़े रहने वाले ऑटो की वजह से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले इलाकों में नगर का हृदय स्थल प्रमुख है जहां जयस्तंभ चौक से लेकर गांधी पार्क तक सब कुछ अस्त-व्यस्त नजर आता है। यही स्थिति नगर के अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों की भी बनी रहती है। सुबह से शाम तक सार्वजनिक जगहों की बात तो दूर बाजार और गलियों तक से पैदल निकलना मुश्किल हो जाता है, लेकिन यातायात विभाग या परिवहन विभाग को इससे कोई सरोकार नहीं है।
वसूलते हैं मनमाना किराया
सुविधा के नाम पर शोषण का शिकार बनाते आ रहे ऑटो चालक वक्त-जरूरत दबाव बनाकर मनमाना किराया भी वसूल रहे हैं। शहरवासियों को तो किराए थोड़ी बहुत जानकारी होती जिससे वे तो वसूली से बच जाते हैं लेकिन बाहर से आने वाले लोगों से ये आटो चालक मनमाना किराया वसूल करते हैं। जिससे कई बार विवाद व झगड़े की स्थिति निर्मित हो जाती है।