जनमानस
अग्निवेश ने फिर उगला जहर
कभी नक्सलियों के हिमायती रहे, स्वामी अग्निवेश (कामी अग्निभेष) ने एक बार फिर विषैली आग उगली है। जगदलपुर में किसी एक सभा में कहा अमरनाथ यात्रा पाखंड है। हिन्दुओं के आस्था की प्रतीक बाबा अमरनाथ की यात्रा पाखण्ड कहने वाले स्वयं कितने दूध के धुले हरिश्चन्द्र हैं। यह सर्वविदित है। क्या उनका भगवा चोला पहनकर इस तरह के अनर्गल विवादास्पद बयान देना पाखण्ड नहीं है। संत के भेष में अग्निवेश जैसे भेडिय़े तमाम संत समाज को बदनाम कर रहे हैं। तर्क देते है। भूगोल की भाषा में बर्फ का पुतला कहा जाता है। बात को साबित करने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा शिवलिंग पूजन को अंधविश्वास बताया है। वास्तव में अगर अग्निवेश साहसी व्यक्ति है तो ऐसा ही बयान मक्का मदीना की हज यात्रा के बारे में देकर बताएं तो मान जाऊंगा कि वह निर्भीक संत है। अन्यथा संत के भेष में कायर पाखण्डी तुच्छ मानव है। जो सुर्खियों में रहने के लिए सत्ता प्रचार के लिए ऐसे बयान उदारमय हिन्दुओं के बारे में दे सकता है। अग्निवेश जैसे नागों का सिर जूतों से कुचला जाना चाहिए। रहीम ने कहा है-
खीरा मुख तै कातिये, मलिये नमक लगाये।
रहिमन कड़वे मुखन को दीजे यही सजाये।।
कुंवर वीरेन्द्र सिंह विद्रोही, ग्वालियर