जनमानस
हिन्दी को उचित सम्मान मिले
देश में जो हिन्दी की दुर्दशा हो रही है, उसके लिए पूरे देश की जनता दोषी है। हिन्दी पूरे भारत में समझी व बोली जाती है, परंतु राजनैतिक लाभ-हानि के चलते उसे स्वीकार करने में इच्छाशक्ति का अभाव है। क्षेत्रीय राजनैतिक दलों की दुकान भाषा के नाम पर ही चल रही है, जो समय-समय पर हिन्दी विरोध का प्रदर्शन करते रहते है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, वे किसी भी देश में जाएं भाषण हिन्दी में ही देंगे, उनका यह निर्णय स्वागत योग्य है हिन्दी को अगर ऊपरी स्तर पर मान्यता मिलेगी तो वह अपने आप सरकारी स्तर पर भी राजभाषा का दर्जा वास्तविक तौर पर प्राप्त कर सकती है। हमें उम्मीद रखनी चाहिए हिन्दी को उचित सम्मान आने वाले समय में मिलेगा।
नरेन्द्र नाईक, खरगोन
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