जाति प्रमाण-पत्र के डिजिटाइजेशन की केंद्रीय मंत्री ने की सराहना
भोपाल । अनुसूचित-जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को जाति प्रमाण-पत्र जारी करने का आधार वर्ष 1 नवम्बर, 2000 को माना जाये। यह आग्रह आज नई दिल्ली में नर्मदा घाटी एवं सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने केन्द्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गेहलोत से किया। केन्द्रीय मंत्री ने जारी किये गये जाति प्रमाण-पत्र का डिजिटाइजेशन किये जाने की सराहना की।
श्री आर्य ने केन्द्रीय मंत्री श्री गेहलोत को बताया कि वर्तमान में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों को जाति प्रमाण-पत्र जारी करने के लिये मध्यप्रदेश में वर्ष 1950 से निवासरत रहने की शर्त है। यह शर्त विसंगतिपूर्ण है। इसके कारण कमजोर वर्ग को जाति प्रमाण-पत्र उपलब्ध करवाने में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार इस विसंगति को दूर करने के लिये केन्द्र सरकार के स्तर पर वर्ष 2005 से निरंतर प्रयास कर रही है।
सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री ने आग्रह किया कि छत्तीसगढ़ के पुनर्गठन के बाद 1 नवम्बर, 2000 को आधार वर्ष मानकर उस दिन तक अथवा उसके पूर्व से मध्यप्रदेश में निवास करने वाले अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों को स्थायी जाति प्रमाण-पत्र दिया जाये।