मजदूरों के हितों के लिए लोकसभा में विधेयक पेश

नई दिल्ली | कामगारों के लिए आजीविका की सुरक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के मकसद से लोकसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया जिसमें कारखानों में पेयजल, शौचालयों, जलपान गृहों, कामगार महिलाओं के लिए शिशु गहों और विश्राम स्थलों की व्यवस्था नहीं कराया जाना अपराध की श्रेणी में आएगा।
इसके साथ ही इस विधेयक में एक महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया है कि किसी भी कारखाने में किसी भी महिला कामगार को सुबह छह बजे से शाम सात बजे के अलावा किसी अन्य समय में काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी। लेकिन सुरक्षा संबंधी कुछ शर्तों को पूरा करने पर महिलाएं शाम सात बजे से सुबह छह बजे तक कार्य कर सकेंगी।
लोकसभा में विपक्ष की कुछ आपत्तियों के बीच श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कारखाना : संशोधन : विधेयक 2014 पेश किया। संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है कि कारखानों में पेयजल, शौचालयों, जलपान गहों, कामगार महिलाओं के लिए शिशु गहों और विश्राम स्थलों की व्यवस्था नहीं कराया जाना अपराध की श्रेणी में आएगा।
विधेयक के कारणों और उद्देश्यों में बताया गया है कि कामगारों के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श के जरिए नियोक्ता के लिए अनिवार्य होगा कि वह कारखानों में आपातकालीन योजना और आपदा नियंत्रण उपायों का प्रबंध करे।
इसके साथ ही ऐसे किसी भी कारखाने में कामगारों के लिए आश्रय स्थलों या विश्राम कक्षों और भोजनकक्षों का प्रबंध करना जरूरी होगा जहां 75 या उससे अधिक कामगार कार्यरत हैं। पहले यह संख्या 150 थी। नए प्रावधान के लिए विधेयक की धारा 47 में संशोधन किया गया है।


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