जनमानस
हेलमेट ने बचाया सैनिक का जीवन
शहर में विगत दिवस एक दुर्घटना हुई जिस खबर को सूचना के माध्यम से सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया और स्वाभाविक रुप से अधिकाधिक लोगों ने उसे पढ़ा भी। लेकिन क्या किसी भी व्यक्ति का ध्यान इस बात की ओर गया कि इतनी बड़ी दुर्घटना होने के बाद भी उस सेवानिवृत्त सैनिक को सिर में कोई चोट नहीं आई। जबकि वह मोटरसाइकिल सवार सेवानिवृत्त सैनिक गलत दिशा में गाड़ी चला रहा था। इस दुर्घटना में उसकी जान सिर्फ इसलिए बची क्योंकि वह एक नियम यदि तोड़ भी रहा था तो उसने दूसरे नियम का पालन भी बहुत ही अच्छे तरीके से किया और वह नियम था मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट पहनने का। दुर्घटना में बस के पहिए के नीचे उसका सिर आ गया था। लेकिन हेलमेट ने स्वयं छतिग्रस्त होकर अपने मालिक को बचा लिया। उस दुर्घटना के समय यदि चालक द्वारा हेलमेट नहीं पहना होता तो उसकी मृत्यु निश्चित थी। क्योंकि दुर्घटना में हेलमेट बुरी तरह से टूट गया था जिससे उसके बिना दुर्घटना होने पर क्षति का अनुमान लगाया जा सकता है। एक दुर्घटना का तो मैं स्वयं साक्षी हूं उस मोटरसाइकिल की गति इतनी अधिक थी कि आँखों के सामने से कब गायब होकर टकरा गई पता ही नहीं चला। सबसे बड़ा अफसोस मोटरसाइकिल सवार में से एक भी व्यक्ति ने हेलमेट नहीं पहना था। गाड़ी भिड़न्त होने पर जैसे ही सिर टकराए तो एक व्यक्ति ने तत्काल दम तोड़ दिया और एक की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई। साथ ही उस एक व्यक्ति द्वारा अधिक गति से चलने के कारण अन्य चार मोटरसाईकिल वालों को दुर्घटना ग्रस्त होना पड़ा था। आजकल पुलिस द्वारा बिना हेलमेट पहनकर मोटरसाईकिल चलाने वालो के खिलाफ मौके पर ही कानून की अवहेलना करने पर तत्काल प्रभाव से चालान के रुप में आर्थिक दण्ड दिया जा रहा है। इस माध्यम से शहरवासियों को हेलमेट लगाने के प्रति जागरुक के साथ ही नियम का पालन करना सिखाया जा रहा है जो काबिले तारीफ है। लेकिन सड़क पर सादा कपड़ों में पुलिस द्वारा खड़े किए जाने वाले लड़के बिना हेलमेट वाले मोटरसाईकिल चालकों पर एकदम से झपट्टा मारते हंै तो एक बार तो मन में यह खयाल आता है कि गाड़ी रोकने वाला असामाजिक तत्व है जो मेरे साथ लूट करने का प्रयास कर रहा है। साथ ही अन्य अव्यवस्थाओं को सुदृढ़ करना पुलिस की जिम्मेदारी है।
विजय ऋषि, ग्वालियर