जनमानस
भ्रमित राहुल
लगता है करारी हार से राहुल गांधी की मति भ्रमित हो गई। देश भर में कई वर्षों से महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। लेकिन राहुल गांधी का वह बयान कि मंदिर जाने वाले ही छेड़ते हैं। एक ही समुदाय यानि हिन्दू समाज के लोगों पर सीधा आरोप। इस तरह के आरोप लगाने से पहले राहुल ने अजमेर के खादिमों के कु-कृत्यों पर गौर नहीं किया और न ही चर्च के पादरियों के निंदनीय यौन अपराधों की याद आई। उन्हें मात्र हिन्दू ही याद रहे उन्हें पता है कि हिन्दू बेे-वजह की बातों को तूल नहीं देते हैं। साथ में संगठित भी नहीं है। अन्य समुदाय के लोग संगठित हैं और उनके विरोध में राहुल कुछ बोलते तो उन्हें दो तरह का खतरा महसूस होता एक तो समुदाय विशेष विरोध में सड़कों पर निकल आता दूसरा वोट बैंक भी खिसक जाता इसलिए सत्ता और वोटों के लालची राहुल ने एक समुदाय को प्रसन्न करने के लिए कई भागों में बंटे हिन्दू समुदाय पर आरोप मढ़ दिये। राहुल की बुद्धि से लगता है कि उनकी सोच अब हद से ज्यादा छोटी होती जा रही है। तुष्टिकरण के पुजारी और वोटों के सौदागर राहुल गांधी को चाहिए कि वे एक वर्ग विशेष पर आरोप लगाने से पहले सोच लें तो बेहतर होगा। यकीनन उनका बयान निंदनीय है।
मुकेश घनघोरिया, घाटीगांव