उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार का हलफनामा, चाहे तो सभी कोयला ब्लॉक्स रद्द करे अदालत
नई दिल्ली | सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा अवैध ठहराए गए 218 कोयला ब्लॉक आंवटनों पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर किया। सरकार ने कोयला ब्लॉकों को रद्द करने का फैसला न्यायालय पर छोड़ा। सरकार ने संचालित हो रहे 40 कोयला ब्लॉक आवंटनों और संचालन के लिए तैयार छह कोयला ब्लॉक आवंटनों के बारे में उच्चतम न्यायालय को ब्यौरा सौंपा है। बिजली एवं कोयला मंत्रालय ने वर्ष 1993 से आबंटित खानों पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के इंतजार के बीच चालू वित्त वर्ष के अंत तक कोयला ब्लाकों की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई है।
उच्चतम न्यायालय 1993 और 2011 के बीच आबंटित किए गए कोयला ब्लाकों पर मंगलवार को आगे सुनवाई करेगा। पिछले महीने, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि 1993 से 2011 के तक सभी 218 आबंटन अवैध और मनमाने ढंग से किए गए।
सूत्रों के मुताबिक, बिजली और कोयला मंत्रालय की योजना चालू वित्त वर्ष के अंत तक ब्लाकों की नीलामी करने की है। इन कोयला ब्लाकों का आबंटन उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त किया जा सकता है।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘कोयला ब्लाक नीलामी की संपूर्ण प्रक्रिया में कम से कम छह महीने का समय लगेगा।’’ उल्लेखनीय है कि 218 आबंटनों में से 80 ब्लाकों का आबंटन पहले ही रद्द किया जा चुका है। बाकी 138 ब्लाकों में से 40 ब्लाक परिचालन में हैं, जबकि छह में परिचालन शुरू होने को है।
सरकार ने उच्चतम न्यायालय से उन 46 कोयला ब्लाकों को बख्शने का अनुरोध किया है जिसमें 40 परिचालन में हैं और छह में परिचालन शुरू होने को है।