जनमानस
हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं
आज के समय देखने में आया है कि अब न्यायालयों में भी राजनीतिज्ञों ने दबाव बनाना प्रारंभ कर दिया है। नेता अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए न्यायालयों और न्यायाधीशों पर दबाव बनाते हैं। जबकि जनसामान्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता व निष्पक्षता का पक्षधर है और वह न्याय क्षेत्र में किसी भी तरह का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप नहीं चाहता है। राज्य व केन्द्र सरकार को चाहिए कि इस प्रकार की कोई भी शिकायत आती है तो तत्काल इस पर संज्ञान लिया जाए क्योंकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता सभी के लिए हितकारी है। ऐसा होने से जहां न्याय के प्रति भरोसा कायम होगा वहीं भारत प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होगा।
रामबाबू आर्य, मुरैना
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