जनमानस
सरकारें किसानों की सुध लें
भारत एक कृषि प्रधान देश है, किंतु यहां किसानों की दुर्दशा पर कोई ध्यान नहीं देता। महंगाई बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ, किसानों के अनाज का भाव गिरता जा रहा है। ऐसे में, वे क्या करें? उनके जीविकोपार्जन का साधन सिर्फ और सिर्फ खेती और इससे उपजे अनाज ही तो हैं। वे अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करें? कभी-कभी तो हालात इतने गंभीर हो जाते हैं कि बीज, जुताई, निराई, पानी आदि के खर्चे की भरपायी भी नहीं हो पाती। मानता हूं कि देश और सरकार को बहुत कुछ देखना है और सबको साथ लेकर चलना है, परंतु किसानों को पीछे छोडऩा कहां तक उचित है? सरकार उनके लिए चाहे जो करे, परंतु यदि उन्हें अपनी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिलता है, तो फिर यह गलत है। अत: हमारे देश में अनाजों के भाव बढऩे चाहिए। मेरा ख्याल है इससे देश में किसानों की आत्महत्या की संख्या में कमी आएगी।
सुरेन्द्र सिंह पंवार