जनमानस

तिरंगे के सम्मान पर राष्ट्र गौरव के हस्ताक्षर

बिना सैंसर के सोशल मीडिया का प्रयोग घातक और एक बड़ा कुतर्क ही सिद्ध होता है। हमारे राष्ट्रीय झंडे को निर्जीव समझने की प्रतिक्रिया ने देश की जनता को घोर आश्चर्य में डाल दिया है। प्रधानमंत्री मोदी की ताजी अमेरिकी यात्रा के दौरान उनके राष्ट्रीय ध्वज पर हस्ताक्षर का प्रसंग कांग्रेसी नेताओं संग सोशल मीडिया द्वारा इस प्रकार से उछाला गया मानो तिरंगे के सम्मान में व्यावहारिक जीवन का कोई महत्व न हो। महान क्रिकेटर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर का प्रिय फैन एक आदर्श व शानदार दर्शक के रूप में हमेशा तिरंगे के रंगों में अपने प्रिय ध्वज के रूप में ही मैदान में दर्शक दीर्घा में उपस्थित होता है। पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी पर झंडों पर प्रतिबंध की कैसी भी बात की जाये परंतु देश के सभी छोटे-छोटे बच्चे बिना झण्डे के स्कूल नहीं जाना चाहते और स्कूल जाने पर राष्ट्रगान के अवसर पर हाथों में छोटे-छोटे कैसे भी झण्डों के साथ प्रार्थना में भाग लेने पर ही उन्हें आनंद आता है। हमारे वीर शहीदों की मिट्टी राष्ट्रीय ध्वज में ही लिपटकर उस शहीद के सम्मान और शहीद द्वारा तिरंगे के गौरव की परिभाषा बनती है क्या इसेे तिरंगे के सम्मान पर राष्ट्र गौरव के हस्ताक्षर का प्रेरणादायी अहसास नहीं माना जायेगा? जिन कांग्रेसी नेताओं समेत कई लोगों ने ध्वज संहिता के हवाले से यह बताने की कोशिश की कि राष्ट्रीय ध्वज पर हस्ताक्षर करना अपराध है तब ऐसे प्रावधान का संशोधन ही राष्ट्रीय ध्वज के अनूठे प्रेम का गहरा सम्मान होगा। क्रीड़ा-कला जगत हो या हमारे लोकतंत्र का लोक खुशी-गम, सफलता-असफलता की हर कड़ी को तिरंगे के प्राण तत्व की ऊर्जा में जीता है, तिरंगा सम्मान की घोर तकनीक नहीं है व्यवहार का सबल प्रतीक है। उसके साथ जीने से ज्यादा उसमें जीने की भक्ति ही राष्ट्र ध्वज को विशेष बनाती है। भक्ति में भक्त और भगवान अलग नहीं होता उनके लिये कोई भी कर्म आपसी व्यवहार का भेद नहीं रखता ठीक उसी प्रकार अमेरिकी दौरे पर पहुँचे हमारे देश के प्रधानमंत्री मेल-जोल व दुनिया से संबंध स्थापित करने के ठोस समझौतों की अथक मेहनत के बीच भारतवंशियों की नमो-नमो गूँज में राष्ट्रगौरव का पर्याय होकर राष्ट्रीय ध्वज के प्रेम का हस्ताक्षर बन जायें तब इसका विरोध नहीं स्वागत होना चाहिये। स्वामी विवेकानंद को आचरण में उतारने वाले मोदी शब्द ब्रह्म की उपासना में देश के ध्वज की पताका को पूरे विश्व में फहरा रहे हैं वे दुनिया के बड़े बड़े राष्ट्रों में भी भारत राष्ट्र की ऐसी तस्वीर खींच रहे हैं जहाँ सिर्फ और सिर्फ भारत मय वातावरण ही प्रकाशित होता नजर आता हैं। हमारे दुश्मन पाकिस्तान को देखिये जहाँ का मीडिया जगत भी प्रधानमंत्री मोदी की मोदीमय अमेरिकी यात्रा की प्रशंसा करते नहीं थक रहा और अपने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सुस्त व्यक्तित्व पर अफसोस जता रहा है और हम हैं कि प्रधानमंत्री की अमेरिकी यात्रा के निष्कर्ष में नकारात्मक और आलोचनात्मक विश्लेषण में जुटे हैं। तिरंगे के सम्मान पर राष्ट्र गौरव के हस्ताक्षर में ही हमारे तिरंगे की आन-बान और शान है इसे सिर्फ झांकी की जगह अपने दिल की गहरायी में उतारने की जरुरत है।

हरिओम जोशी

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