चालीस दिनों बाद खुली भारत-नेपाल सीमा
काठमांडू। नेपाली पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा पर बैठे आंदोलनकारियों को आज बलपूर्वक हटाते हुए 40 दिनों बाद दोनों देशों के बीच की सीमा को खोल दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक,पुलिस ने बीरगंज-रक्सौल सीमा पर जब प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की तो शुरूआत में उन लोगों ने पुलिस पर पथराव किया,लेकिन पुलिस ने आंदोलनकारियों को खदेड़कर ही दम लिया। वहीं सीमा खुलने के बाद करीब 170 मालवाहक ट्रक नेपाल से भारत की ओर गए। हालांकि भारत की तरफ से अब तक किसी भी ट्रक ने नेपाल में प्रवेश नहीं किया है। नेपाल के तराई क्षेत्र के भारतीय मूल के बाशिंदो के हितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले मधेशी रक्सौल के निकट मुख्य कारोबार स्थल के नजदीक प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मार्ग के जरिए करीब 70 प्रतिशत द्विपक्षीय कारोबार होता है। उनके आंदोलन के कारण जरूरी सामान की आपूर्ति रूक गयी जिससे नेपाल में ईंधन का घोर संकट पैदा हो गया था।
रक्सौल के कस्टम अधीक्षक अरुण कुमार रजत ने आज कहा कि सुबह सीमा खुलने के बाद भारत की तरफ फंसे हुए ट्रकों को नेपाल भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सीमा खुल चुकी है इसलिए मालवाहक ट्रकों और टैंकरों के रूकने की जगह नहीं है। ट्रक, टैंकर और एलपीजी गाड़ियों को नेपाल भेजा जाएगा। देश के नये संविधान को लेकर नेपाल सरकार और मधेशी समूहों के बीच वार्ता रविवार को बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गयी। वहीं उपप्रधानमंत्री कमल थापा ने कहा कि वार्ता सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है।
मधेशी मोर्चे की प्रमुख मांगों में संघीय प्रांतों को फिर से चिन्हित करने तथा और अधिकारों का समावेश करने और भारतीय मूल के मधेशी लोगों का प्रतिनिधित्व किया जाना शामिल है। हालिया प्रदर्शन में जान गंवाने वालों को शहीद का दर्जा, घायलों को नि:शुल्क उपचार, पीड़ित परिवारों को मुआवजा और तराई जिले से सुरक्षा बल हटाने समेत कुछ अन्य मांगे हैं। गौरतलब है कि मधेशी गठबंधन दो महीने से ज्यादा समय से लागू नये संविधान के सात प्रांत मॉडलों के खिलाफ दक्षिणी नेपाल के विभिन्न भागों में प्रदर्शन कर रहा है। 20 सितंबर को औपचारिक तौर पर संविधान लागू होने के बाद से चारों तरफ से भूमि से घिरे नेपाल के दक्षिणी हिस्से में तनाव काफी बढ़ गया है।