जनमानस
ऊर्जा संकट से बचाव कैसे?
ऐसा कहा जाता है कि आवश्यकता, आविष्कार की जननी है। हमारा देश भारत एक विकासशील देश है और अपनी विभिन्न उपलब्धियों के कारण विकसित देश की श्रेणी में आने वाला है। हम हर क्षेत्र में प्रगति कर रहे है। ऊर्जा क्षेत्र भी उनमें से एक है। ऊर्जा यानी विद्युत उत्पादन और उसका उचित उपभोग। सबसे पहले हमारा देश कोयले से विद्युत पैदा करता था। उसके बाद जल विद्युत पैदा की जाने लगी अर्थात देश की नदियों पर बड़े-बड़े बांध बने और सिंचाई के साथ-साथ विद्युत उत्पादन भी किया जाने लगा, किंतु देश में विभिन्न उद्योगों की स्थापना के कारण विद्युत आपूर्ति कम हो गई और अब हम परमाणु ऊर्जा से भी विद्युत उत्पादन में लगे हुए हैं। देश की पहली ऊर्जा भट्टी तारापुर में बनाई गई थी। दूसरी परमाणु भट्टी कोटा में बनाई गई। इसके पश्चात 4/5 भट्टियंा देश के विभिन्न प्रदेशों में बनाई गई पर जितना विद्युत उत्पादन किया गया, लेकिन आपूर्ति की कमी ही रही। आज बिजली का उपयोग घर के लिए, खेती के लिए और उद्योगों के लिए जरूरी हो गया है। जितनी मांग है उतनी पूर्ति नहीं हो रही है। ऐसे में विकल्प यही है कि जितना भी उत्पादन जितनी भी तरीके से हो रहा है उसका सदुपयोग किया जाना चाहिए। हर नागरिक प्रण करे कि वह बिजली का फिजूल खर्च नहीं करेगा अपने घर, कार्यालय और अन्य स्थानों पर बिजली बचाएगा। सरकार (प्रांतीय और केंद्र) भी ऊर्जा बचाने के उपायों पर मनन करे और उनका प्रचार और प्रसार जन-जन तक पहुंचाए, तभी हम अपने देश को ऊर्जा संकट से बचा सकेंगे।
हरमोहन नीमा