चीन: भूस्खलन के बाद ढही 33 इमारतें, 91 लोग लापता
बीजिंग। चीन के गुआंगडोंग प्रांत के शेनझेन शहर में भूस्खलन से गैसलाइन में ब्लास्ट हो गया, जिससे 33 इमारतें जमींदोज हो गई। हादसे के बाद 91 लोगों के लापता हो जिनकी तलाश जारी है। घटना के बाद प्रधानमंत्री ली कियांग ने मामले के आधिकारिक जांच के आदेश दिए हैं। जिस पहाडी के करीब जमीन खिसकी, वहां दो साल से कुछ उद्योगपति कब्जे की कोशिश में लगातार मलबा डाल रहे थे। प्रधानमंत्री ने घटना के अगले दिन इसकी विस्तृत जांच और राहत एवं बचाव के हर संभव प्रयास करने के आदेश दिए। रविवार को यह लैंडस्लाइड शेनझेन के लियुक्सी इंडस्ट्रियल पार्क इलाके में हुआ था। जमीन खिसकने के बाद गैस पाइपलाइन में धमाका होने से मामला और बिगड गया। लोगों ने बताया कि धमाका इतना तेज था कि इसकी आवाज चार किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। प्राकृतिक गैस के वेस्ट-ईस्ट पाइपलाइन का एक हिस्से में विस्फोट हुआ था। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस विस्फोट का दुर्घटना से कोई संबंध था या नहीं। भूमि एवं संसाधन मंत्रालय ने स्थानीय सोशल साइट पर लिखे एक पोस्ट में बताया कि शेनझेन के गुआंगडोंग जिले में स्थित हेंगतैयू औद्योगिक पार्क में दीवार ढहने से 33 बहुमंजिला इमारतों को क्षति पहुंची और काफी लोग लापता हो गए। हादसे के बाद मौके पर रेस्क्यू टीम के 1500 सदस्य बचाव में जुटे हैं। प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय सरकार को शेनझेेन प्रशासन की मदद के भी निर्देश दिये हैं। राहत एवं बचाव कार्य के लिए अग्निशमन दल के 500 कर्मचारी और 30 कुत्ते भी भेजे गए हैं। अब तक दस लोगों को बचाया गया है। कल शाम तक 14 लोगों का पता लगाया गया है और 900 से अधिक लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला गया है। सीसीटीवी के अनुसार लापता 91 लोगों में 59 पुरूष तथा 32 महिलाएं शामिल हैं। इससे पहले लापता लोगों की संख्या 59 बतायी गई थी।
लैंडस्लाइड 3.80 लाख वर्गगमीटर के इलाके में हुआ। इसकी बडा वजह यहां दो साल से रोजाना मलबा डाला जा रहा था कि ताकि पहाडी के कुछ हिस्सों को समलत बनाकर वहां फैक्टरियां लगाई जा सकें।
इसके लिए बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा था। करीब सौ मीटर ऊंची पहाडी ढहने के बाद मलबा 10 हेक्टर (25 एकड) इलाके में फैल गया। इससे पहले तियानवजिन में हुए रासायनिक विस्फोट में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। चीन में हालिया समय में औद्योगिक दुघटनाओं के मामले में लगातार हो रही बढोतरी के कारण सुरक्षा मानकों पर सवाल उठने लगे हैं।