जनमानस
दुष्कर्मी की रिहाई निर्भया के साथ नाइंसाफी
तीन वर्ष पूर्व दिल्ली में चलती बस में निर्भया के साथ दुष्कर्मियों ने जो कृत्य किया, वह उसके माता-पिता व देश के नागरिक कभी भूल नहीं सकते हैं, किन्तु बड़ा अफसोस है कि हमारी कानूनी खामियों के कारण इस जघन्य कृत्य का मुख्य आरोपी एक नाबालिग रविवार को कोर्ट द्वारा रिहा कर दिया गया। यह दुष्कर्मी अब 20 वर्ष की आयु पार कर बालिग हो गया है। दुष्कर्मी की रिहाई से दिल्ली की सड़कों पर तीन वर्ष पूर्व जैसा गुस्सा भड़क उठा। जनता हर हाल में दुष्कर्मी की रिहाई के खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट कर उसे सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रही है। दुष्कर्मी चाहे बालिग हो या नाबालिग हर हाल में गुनहगार अवश्य है। ऐसा गुनाह कभी माफ नहीं किया जा सकता है। हमारे लचर कानून के कारण निर्भया जैसी मासूम के साथ जो नाइंसाफी हो रही है, वह हमें सोचने के लिए अवश्य मजबूर कर रही है। जब तक इस दुष्कर्मी को फांसी अथवा आजीवन कारावास की सजा नहीं सुनाई जाती, तब तक निर्भया की आत्मा भटकती रहेगी। हमारी संसद को शीघ्र ही नया कानून पास कर ऐसे गुनहगारों के लिए 15 वर्ष की आयु कम से कम निश्चित कर देना चाहिए। यदि ऐसा कानून पास हो जाता है तो अपराधों पर अवश्य नियंत्रण होगा, अन्यथा कई मासूम ऐसे नाबालिग दरिंदों के हाथ अपनी अस्मिता लुटने से बचा नहीं सकती। ये दुष्कर्मी नाबालिग वयस्क होकर बड़े-बड़े अपराध करने से हिचकिचाएंगे नहीं।
सुभाष सकलेचा