'जेल में भी कर सकते हैं प्रभु का चिंतन'
जिला जेल में कैदियों को बताया राम भक्ति से सद्ज्ञान का मार्ग
शिवपुरी। जो हुआ, सो हुआ, पर अब नहीं होगा, इसीलिए कहा गया है कि बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लें। इन पंक्तियों को समझने का प्रयास करें, जो हमें भविष्य का मार्ग दिखाती है कि जो गलतियां हुईं उनका आज पश्चाताप जेल में हो रहा है, लेकिन जेल में क्यों आए, कभी इस पर विचार किया, शायद नहीं। अगर ऐसा विचार करोगे तो निश्चित रूप से आगे से कभी जेल नहीं आओगे। जेल में रहकर भी प्रभु का चिंतन किया जा सकता है। इसके लिए रामज्ञान को अपनाएं। राम भक्ति सदैव सद्ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करती है, इसलिए अपने अपराध पर क्षमा याचना करते हुए पुन: अपराध से दूर रहने के लिए रामनाम की धुन का गायन करें। रामनाम की इस धुन का आग्रह कर रही थीं प्रसिद्घ श्रीराम कथा वाचक साध्वी डॉ. विश्वेश्वरी देवी, जो स्थानीय जिला जेल परिसर में समाजसेवी संस्था जयहिन्द मिशन के अध्यक्ष जेलर व्ही.एस. मौर्य व संत रैदास लोक कल्याण ट्रस्ट मिशन की अध्यक्ष श्रीमती माया मौर्य के अनुग्रह को स्वीकार कर अपने आशीर्वचन कैदियों को देने आई थीं। इस दौरान जेल प्रबंधन द्वारा साध्वी का भव्य स्वागत किया गया व कैदियों ने साध्वी के श्रीचरणों में शीश झुकाकर अपने अपराध से दूर रहने की शपथ ली। इस दौरान महाराज हरिओम जी भी मौजूद थे।
भजनों से दिया विचार बदलने का संदेश
इस अवसर पर साध्वी डॉ. विश्वेश्वरी देवी ने भजन-कीर्तनों के माध्यम से कैदियों के विचारों को बदला और भजन प्रस्तुत किया, जिसके बोल थे- नींद न आए रे चैन न आये रे, जीवन सारा बीता जाए पर शाम न आए रे..., दिल की धड़कन जब आवाज लगाएगी, न सोना काम आएगा न चांदी काम आएगी, राजा-राम-सीताराम..., ये पाप की नइया तुम्हें जिस दिन डुबाएगी न सोना काम आएगा न चांदी काम आएगी, राम...राम...राम...। इस तरह रामधुन के गीत गाकर कैदियों के विचारों और उन्हें ज्ञान का मार्ग साध्वी विश्वेश्वरी ने दिया। साध्वी विश्वेश्वरी ने बताया कि इस जीवन में मनुष्य को सरल स्वभाव का होना चाहिए। जिस प्रकार से नदी अपने सरलता के कारण बहती है और वह शिलाओं को भी अपने रास्ते से सरलता के कारण हटा देती है। ऐसा व्यवहार मनुष्य भी अपने जीवन में लाए तो उसे कभी जेल के द्वार नहीं आना पड़ेगा।
कैदियों को बांटी रामनाम पुस्तक व मास्क
कार्यक्रम में कैदियों के लिए प्रतिदिन रामनाम का जाप करने के लिए पत्रकार भूपेन्द्र नामदेव के पिता अमरचंद नामदेव ने 100 की संख्या में रामनाम लिखने के लिए पुस्तकों का नि:शुल्क वितरण किया। इस दौरान रेडक्रॉस एवं भारत विकास परिषद की वीर तात्या टोपे शाखा द्वारा कैदियों को स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए साध्वी विश्वेश्वरी देवी के सानिध्य में 500-500 मास्कों का वितरण किया गया। इस अवसर पर जेलर श्री मौर्य ने भी कैदियों को अपने अपराध से दूर रहकर एक अच्छा इंसान बनकर जीने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन आदित्य शिवपुरी ने एवं आभार प्रदर्शन श्रीराम कथा समिति के रामशरण अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम में कपिल सहगल, प्रमोद गर्ग, भाविप के सुरेश बंसल, रेडक्रॉस के सी.पी. गोयल, सुश्री शैला अग्रवाल, राजू यादव, मणिकांत शर्मा, विजय परिहार, पूनम पुरोहित, मुकेश पाण्डे आदि उपस्थित थे।