योगेंद्र-प्रशांत के बाद मयंक गांधी भी हुए बागी

योगेंद्र-प्रशांत के बाद मयंक गांधी भी हुए बागी
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नई दिल्ली। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को आप की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से निकाले जाने के बाद भी पार्टी में घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी (पीएसी) के सदस्य और महाराष्ट से पार्टी के बडे नेता मयंक गांधी ने अब यादव और भूषण को हटाने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठख में हुई बातें लीक कर दी हैं। मंयक ने पार्टी के निर्देशों को धता बताते हुए अपने ब्लॉग में कार्यकर्ताओं के नाम लिखे खुले पत्र में ये बातें कही है। उन्होंने बागी रूख अख्तियार करते हुए सीधे-सीधे अरविंद केजरीवाल पर उंगली उठाई है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने साफ-साफ कह दिया था कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण पीएसी में रहते हैं तो मैं काम नहीं कर पाऊंगा। मयंक गांधी ने ब्लॉग लिखकर यह भी कहा कि वह जानते हैं कि इस खुलासे से उन्हें भी इसके नतीजे भुगतने पड सकते हैं, लेकिन वह इसके लिए तैयार हैं। मयंक के ब्लॉग पर टिप्पणी करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि अंतत: सत्य सामने आ ही जाता है। मयंक के मुताबिक, योगेंद्र और भूषण खुद ही पीएसी से किनारे होने को राजी थे, लेकिन केजरीवाल इन्हें बाहर करने पर अडे हुए थे और इसी के चलते इनकी पीएसी का पुनर्गठन करने या पीएसी से गैरहाजिर रहने की मांग नहीं मानी गई और सीधे-सीधे बर्खास्तगी का प्रस्ताव पेश कर दिया गया। "प्रियकार्यकर्ताओ, मैं माफी चाहता हूं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जो कुछ भी हुआ, उसे बाहर किसी को न बताने के निर्देशों को तोड रहा हूं। वैसे, मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं। 2011 में जब अरविंद केजरीवाल लोकपाल के लिए बनी ज्वाइंट कमेटी की बैठक से बाहर आते थे, तो कहते थे कि कपिल सिब्बल उनसे कहा करते थे कि बाहरी दुनिया को कुछ न बताएं। इसके जवाब में अरविंद कहा करते थे कि राष्ट को कार्यवाही के बारे में बताना उनकी प्राथमिक ड्यूटी है, क्योंकि वह नेता नहीं लोगों के प्रतिनिधि हैं। अरविंद ने जो कुछ किया वो वास्तव में सत्य और पारदर्शिता थी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मेरी मौजूदगी सिर्फ कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि के तौर पर ही थी, और मैं ईमानदार नहीं होऊंगा अगर मैं ये निर्देश मानता हूं। कार्यकर्ताओं को किसी समीकरण से नहीं हटाया जा सकता, वे पार्टी के स्त्रोत हैं। उन्हें सलेक्टिव लीक और छिटपुट बयानों से जानकारी मिले, इसकी बजाय मैंने फैसला किया है कि मैं मीटिंग का तथ्यात्मक ब्यौरा सार्वजनिक करूंगा। पिछली रात मुझसे कहा गया कि अगर मैंने कुछ भी खुलासा किया, तो मेरे खिलाफ अनुुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अब जो हो, मेरी पहली निष्ठा सत्य के प्रति है। यहां योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की बर्खास्तगी के संबंध में मीटिंग के तथ्य दिए जा रहे हैं। मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निवेदन करूंगा कि मीटिंग के मिनिट्स रिलीज किए जाएं। संक्षिप्त पृष्ठभूमि: दिल्ली के चुनाव पप्त;चार के दौरान प्रशांत भूषण ने कई बार धमकी दी कि वह पार्टी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, क्योंकि उन्हें उम्मीदवारों के चयन पर कुछ आपत्ति थी। हममेें से कुछ किसी तरह इस मुद्दे को चुनाव तक शांत रखने में सफल रहे। आरोप था कि योगेंद्र यादव अरविंद केजरीवाल के खिलाफ साजिश कर रहे हैं और इसके कुछ सबूत भी रखे गए। अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव के बीच मतभेद सुलझने की हद से बाहर चले गए और उनके बीच विश्वास का संकट था। 26 जनवरी की रात जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य उनसे मिलना चाहते थे, अरविंद ने यह संदेश दिया कि अगर ये दो सदस्य पीएसी में रहेंगे, तो वह संयोजक के तौर पर कार्य नहीं कर पाएंगे। 4 मार्च को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की यही पृष्ठभूमि थी। राष्ट्रीयकार्यकारिणी की बैठक:योगेंद्र यादव ने कहा कि वह समझ सकते हैं कि अरविंद उन्हें पीएसी में नहीं देखना चाहते, चूंकि अरविंद के लिए उनके साथ काम करना मुश्किल है इसलिए वह और प्रशांतपीएसी से बाहर रहेंगे, लेकिन उन्हें बाहर नहीं किया जाना चाहिए।

- पीएसी का पुनर्गठन हो और नए सदस्य चुने जाएं। इसके लिए होने वाले चुनाव में प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं करेंगे

- पीएसी अपने वर्तमान स्वरूप में ही काम करती रहे और योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण मीटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे। बीच में मीटिंग कुछ समय के लिए रूक गई और मनीष और दूसरे लोगों ने दिल्ली टीम के आशीष खेतान, दिलीप पांडे और आशुतोष से मशविरा किया। बैठक दोबारा शुरू हुई तो मनीष ने योगेंद्र और प्रशांत को हटाने का प्रस्ताव रखा। संजय सिंह ने प्रस्ताव का समर्थन किया। मैं इन दो कारणों की वजह से वोटिंग से बाहर रहा। - अरविंद पीएसी में अच्छे से काम कर सकें, इसके लिए मैं इस बात से सहमत हूं कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पीएसी से बाहर रह सकते हैं और कुछ दूसरी महत्वपूर्ण भूमिका ले सकते हैं।

- मैं उन्हें सार्वजनिक रूप से बाहर रखने के प्रस्ताव के विरोध में था, खासकर तब जब कि वे खुद अलग होना चाहते थे। इसके अलावा उन्हें हटाने का यह फैसला दुनियाभर के कार्यकर्ताओं की भावनाओं के खिलाफ है। यानी, मैं उनके पीएसी से बाहर जाने से सहमत था, लेकिन जिस तरह से और जिस भावना से यह प्रस्ताव लाया गया, वह अस्वीकार्य था। इसलिए मैंने गैरहाजिर रहने का निर्णय लिया। दूसरी जानकारियां मीटिंग के मिनट्स जारी होने पर बाहर आ सकती हैं। यह कोई विद&प्त8206;ोह नहीं है और न ही पब्लिसिटी का कदम है। मैं प्रेस में नहीं जाऊंगा। मेरे इस कदम के चलते मेरे खिलाफ प्रत्यक्ष या परोक्ष कार्रवाई हो सकती है, तो ऎसा हो जाए। जय हिंद मयंक गांधी गौरतलब है कि बुधवार को करीब साढे 5 घंटे चली मैराथन बैठक के बाद राष्ट्रीयकार्यकारिणी के 21 में से 19 सदस्यों के बीच वोटिंग हुई थी। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को हटाने के प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विरोध में 8 वोट पडे थे। पार्टी की अनुशासन समिति के प्रमुख प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि इस मुद्दे पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। अगर किसी को कोई शिकायत है, तो वह पार्टी के लोकपाल के पास जा सकता है।

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