जनमानस
जोड़ से पहले बिखराव
भारतीय जनता पार्टी की भारी विजय से अवाक् रहे विभिन्न राजनीतिक दल नए सिरे से अपने पैर जमाने की कोशिश में हाथ पैर मार रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी सरकार वाले उत्तरप्रदेश में बुरी तरह पस्त हुए समाजवादी नेताओं ने इसकी पहल की और पुराने समाजवादी कुनबे के लोगों को जोडऩा शुरू किया। सन 1991 में टूटे जनता परिवार के लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, एच.डी.देवेगौड़ा, प्रकाश चौटाला, तथा कमल मोरार की क्रमश: राजद, जद(यू), जद (एस), इंडियन नेशनल लोकदल और समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी में विलय कर तीसरी शक्ति बनाने का प्रयास किया है। लोकसभा में सपा के 5, राजद 4, जद (यू)2, जद(एस) 2 तथा आईएनएलडी के भी 2 सदस्य हैं जबकि राज्यसभा में इनके क्रमश: 15, 12,1,1, तथा 1 सदस्य हैं। हताश नेताओं की यह कसरत आगामी चुनावों में कितनी बड़ी चुनौती बनती हैं यह देखा जाना है। छह माह बाद बिहार में राजनीतिक दलों की परीक्षा विधानसभा चुनाव में होगी। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उसके बयानवीर पार्टी को जमीनी हकीकत से अभी भी नहीं समझ पा रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष के नाम पर ही सहमति नहीं हो पा रही है।
कैलाश गौड़