'मन की बात' में बोले प्रधानमंत्री, 40 वर्षों तक रखा धैर्य कुछ समय हमें भी दीजिए

मन की बात में बोले प्रधानमंत्री, 40 वर्षों तक रखा धैर्य कुछ समय हमें भी दीजिए
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नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के आठवें संस्करण में देश की जनता से धैर्य रखने और राजग सरकार को कुछ समय और देने की बात कही। उन्होंने कहा कि जहां आपलोगों ने 40 वर्षों तक धैर्य रखा तो कुछ दिन और धैर्य रखे। उऩ्होंने कहा कि मुझे कुछ समय दीजिये, काम करने का अवसर दीजिये, और हम मिल बैठकर के समस्याओं का समाधान करेंगे।
आज मन की बात में पीएम मोदी ने किसी एक विषय पर नहीं कई विषयों पर एक साथ चर्चा की। गर्मी में देशवासियों से अपना ध्यान रखने की अपील की तो छात्रों को परीक्षा के बाद कम नंबर आने और विफल हुए छात्रों को प्रोत्साहित किया। सरकार के एक वर्ष पूरे होने की बात की, योग दिवस पर लोगों को एक साथ आने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा, आज जब मैं मन की बात कर रहा हूँ, तो चारों तरफ भयंकर गर्म हवा, गर्मी, परेशानियां उसकी ख़बरें आ रही हैं। मेरी आप सब से प्रार्थना है कि इस गर्मी के समय हम अपना तो ख़याल रखें, हम अपने अगल-बगल में पशु-पक्षी की भी दरकार करें। घर के बाहर किसी बर्तन में पक्षियों को पीने के लिए पानी रखें ।इस भयंकर गर्मी में पशु-पक्षियों की भी रक्षा हो जाएगी।
मन की बात में प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों को परीक्षा उतीर्ण होने पर शुभकानाएं दी। साथ ही असफल होने वाले छात्रों को भी प्रोत्साहन करने वाला संदेश दिया। अलग-अलग बोर्ड एग्ज़ाम पास करने वाले विद्यार्थी मित्रों को अपने नतीजे मिल गये हैं। मैं उन सब को बधाई देता हूँ। आपकी सफलता का कारण आपने वर्ष भर कड़ी मेहनत की है, आपके स्कूल, आपके टीचर, पूरे परिवार ने, हर किसी ने प्रयास किया है। जो उत्तीर्ण हुए हैं उनके लिए मेरा इतना ही सुझाव है कि आप उस मोड़ पर हैं जहाँ से आप अपने करियर का रास्ता चुन रहे हैं। अब जगत बहुत बड़ा हो चुका है विषयों और अवसरों की सीमायें नहीं हैं ।आप ज़रा साहस के साथ आपकी रूचि के हिसाब से रास्ता चुनिए। देश को उत्तम शिक्षकों की ज़रूरत है तो उत्तम सैनिकों, उत्तम वैज्ञानिकों की भी ज़रूरत है ।उत्तम कलाकार-संगीतकारों की भी आवश्यकता है। इतने सारे क्षेत्र हैं, इतनी विविधताओं से भरा हुआ विश्व है।
हम ज़रूर प्रयास करें, आपके सपने देश के सपनों से भी मेलजोल होने चाहिये। ज़िन्दगी में सफलता विफलता स्वाभाविक है। जो विफलता से खुद को विफल बना देता है, वो कभी जीवन में सफल नहीं होता है। हम विफलता से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। विफलता आपको आपकी शक्तियों को जानने का अवसर बन सकती है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ‘माई जर्नी एन्ड ट्रान्सफारमिंग ड्रीम्स इन्टू एक्सन’, में अपने जीवन का एक प्रसंग लिखा है। उन्होंने कहा है कि मुझे पायलट बनने की इच्छा थी, लेकिन जब मैं पायलट बनने गया तो मैं फ़ेल हो गया। उनका विफल होना भी कितना बड़ा अवसर बन गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के एक वर्ष पूरे होने की भी चर्चा करते हुए कहा, मेरी सरकार का 1 वर्ष हुआ, पूरे देश ने उसका बारीकी से विश्लेषण किया, आलोचना की, बहुत सारे लोगों ने हमें डिस्टिंक्शन मार्क्स भी दे दिए। वैसे लोकतंत्र में ये मंथन बहुत आवश्यक होता है, पक्ष-विपक्ष आवश्यक होता है क्या कमियां रहीं, उसको भी जानना बहुत ज़रूरी होता है। हमने गत मास प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, तीन योजनाओं को लॉन्च किया। मैं गर्व के साथ कहता हूँ कि सिर्फ़ 20 दिन में 8 करोड़, 52 लाख से अधिक लोग इन योजनाओं में शरीक हो गये ।
दूरदर्शन के नये चैनल की शुरूआत की चर्चा करते हुए कहा, वैसे तो देश में टीवी चैनेलों की भरमार है। लेकिन डीडी किसान चैनल महत्वपूर्ण इसलिए है कि मैं इससे भविष्य को बहुत भली भांति देख पाता हूँ।मेरी दृष्टि में किसान चैनल एक खेत खलियान वाली ओपन यूनिवर्सिटी है ।ऐसी चैनल है, जिसका विद्यार्थी भी किसान है, और जिसका शिक्षक भी किसान है। मेरे मछुवारे भाई-बहनों को भी मैं कहना चाहूँगा, मछली पकड़ने के काम में जुड़े हुए लोग, उनके लिए भी इस किसान चैनल में बहुत कुछ है।
21 जून को इसलिए याद रखा जाता है कि ये सबसे लंबा दिवस होता है,लेकिन 21 जून अब विश्व के लिए एक नई पहचान बन गया है। मैंने संयुक्त राष्ट्र संख (यूएन) में एक प्रस्ताव रखा था कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग-दिवस के रूप में मनाना चाहिए। आप को भी अचरज होगा, 100 दिन के भीतर 177 देशो के समर्थन से ये प्रस्ताव पारित हो गया।ये प्रस्ताव ‘एटदीरेट ऑफ यूएन’ के इतिहास में, सबसे ज्यादा देशों के समर्थन से, सबसे कम समय में पारित हुआI सभी भारतीयों के लिए, गौरवपूर्ण घटना है। वसुधैव कुटुम्बकम की हमारे पूर्वजों ने जो कल्पना की थी, उसमें योग एक कैटलिटिक एजेंट के रूप में विश्व को जोड़ने का माध्यम बन रहा है। योग की ताक़त तो तब बनेगी जब हम सब बहुत बड़ी मात्रा में योग के सही स्वरुप को, सही शक्ति को, विश्व के सामने प्रस्तुत करें। विश्व ने जिसे सम्मानित किया है, विश्व को भारत ने जो दिया है, ये योग हम सबके लिए गर्व का विषय बनना चाहिए। मैं पीएम के तौर पर नहीं कर रहा हूँ, मेरे भीतर का इंसान, दिल की सच्चाई से, मेरे देश के सैनिकों से मैं बात करना चाहता हूँ। वन-रैंक,वन-पेंशन, क्या ये सच्चाई नहीं हैं कि 40 वर्ष से सवाल उलझा हुआ है? इसके पूर्व की सभी सरकारों ने इसकी बातें की, किया कुछ नही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन रैंक वन पेंशन की चर्चा करते हुए कहा, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ । मैंने निवृत्त सेना के जवानों के बीच में वादा किया है कि मेरी सरकार वन-रैंक, वन-पेंशन लागू करेगी। मेरे लिए आपके जीवन के साथ जुड़ना आपकी चिंता करना ये न कोई सरकारी कार्यक्रम है, न ही कोई राजनीतिक, मेरी राष्ट्रभक्ति का ही प्रकटीकरण है। 40 वर्ष तक आपने धैर्य रखा है मुझे कुछ समय दीजिये, काम करने का अवसर दीजिये, और हम मिल बैठकर के समस्याओं का समाधान करेंगे।
पर्यटन पर जोर देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपने भ्रमण का अनुभव साझा करने की अपील की उन्होंने कहा, मुझे मालूम नहीं है आप जब भ्रमण करने जाते हैं, तब डायरी लिखने की आदत है कि नहीं है I लिखनी चाहिए, अनुभवों को लिखना चाहिए। मन की बात का यह कार्यक्रम कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एक तरफ मोदी सरकार के एक वर्ष पूरे हुए हैं तो दूसरी तरफ विदेश यात्रा, भूमि अधिग्रहण बिल जैसे मुद्दों पर विपक्ष उनको घेरने में लगा है।

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