बीमारी की छुट्टी, पर चल रही है प्राइवेट प्रेक्टिस

सरकारी आवास पर भी जमा रखा है कब्जा
ग्वालियर। लापरवाही और अनियमितता के आरोप में निलम्बित एक महिला चिकित्सक पुन: बहाल होने के बाद अपनी नई पदस्थापना पर दो साल में दो बार भी सम्बन्धित चिकित्सालय नहीं पहुंचीं और बे-रोकटोक प्राइवेट प्रेक्टिस कर रही हंै। इतना ही नहीं इन्होंने सरकारी आवास पर भी कब्जा कर रखा है। जानकारी के अनुसार मई 2013 में लक्ष्मीगंज प्रसूतिगृह में डॉ. रेनू चौहान पदस्थ थीं। उसी दौरान प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीण कृष्ण ने इस अस्पताल का निरीक्षण किया तो उन्होंने इस अस्पताल में अनिमितताओं के चलते डॉ.रेनू चौहान को निलम्बित कर दिया था। उसके बाद डॉ. चौहान पुन: बहाल हो गईं और वर्तमान में उनकी पदस्थापना सिविल अस्पताल मुरैना में है। लेकिन उन्होंने वहां दो दिन भी ड्यूटी नहीं की और बीमारी का आवेदन देकर आज तक अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई। जबकि शहर में स्थित जनकगंज अस्पताल में वह सरकारी आवास में अवैध रूप से रहते हुए धड़ल्ले से प्राईवेट पे्रक्टिस कर रहीं हंै। जबकि किसी भी शासकीय सेवक को स्थानांतरण के बाद छह माह से अधिक समय तक शासकीय आवास में रहने की अनुमति नहीं है।
चल रही है समानान्तर ओपीडी
जानकारी के अनुसार जनकगंज अस्पताल में समानान्तर ओपीडी चल रही है। अस्पताल में पदस्थ चिकित्सक सुबह से लेकर दोपहर तक मरीजों को देखते हैं वहीं डॉ.रेनू चौहान भी सुबह से लेकर शाम चार बजे तक मरीजों को देखती हैं। वहां पर पदस्थ स्टॉफ का कहना तो यहां तक है कि सरकारी पर्चे पर वह मरीजों को देखकर फीस वसूल करती हैं।
विभाग नहीं कर रहा निर्णय
सभी आरोपों को निराधार बताते हुए डॉ. रेनू चौहान का कहना है कि मैने स्थानांतरण के सम्बन्ध में न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसमें स्वास्थ्य विभाग को आदेश दिया गया है कि यदि मेरा निलम्बन सही है तो उसी के अनुसार कार्रवाई की जाए अन्यथा मेरा स्थानांतरण निरस्त किया जाए, लेकिन विभाग ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। जहां तक सरकारी आवास में रहने का प्रश्न है तो मेरा स्वयं का मकान बन रहा है जो पन्द्रह दिन में तैयार हो जाएगा, इसके बाद मैं इस आवास को खाली कर दूंगी। वहीं मैने अपनी नई पदस्थापना पर ज्वाइन करने के बाद बीमारी का अवकाश लिया था, लेकिन चूंकि मामला न्यायालय में लम्बित है, इसलिए वहां नहीं जा रही। इसके साथ ही मैं यहां कोई प्रेक्टिस नहीं कर रही बल्कि जो लोग आ जाते हैं उन्हें मात्र परामर्श देती हूं।

इनका कहना है
'' मैं यहां पर पिछले आठ माह से पदस्थ हूं, तब से लेकर आज तक मेंने डॉ. रेनू चौहान को कभी चिकित्सालय में नहीं देखा। वह एक छुट्टी का आवेदन देकर लम्बे समय से गायब हैं।''
डॉ. एसआर शर्मा
सिविल सर्जन, मुरैना जिला चिकित्सालय
''आपके द्वारा यह मामला मेरे संज्ञान में लाया गया है। यदि इस तरह से अनिमितता बरती जा रही है तो निश्ििचत ही कार्रवाई की जाएगी। ''
डॉ. संजय गोयल
जिलाधीश ग्वालियर

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