जनमानस
जरूरत जंकफूड के बहिष्कार की
आज पाश्चात्य संस्कृति का असर लोगों पर इस कदर चढ़ा हुआ है कि लोग अपने पूर्वजों का आदेश, अपनी संस्कृति व परम्परा, अपने खानपान सब भूलते जा रहे हैं। आधुनिकता का सबसे अधिक नकारात्मक असर लोगों के आहार पर पड़ा है। आहार दूषित होता जा रहा है। आहार के अंतर्गत हम बात कर रहे हैं जंक फूड (फास्ट फूड, स्ट्रीट फूड) की, जिसका समाज में आज कुछ ज्यादा ही बोलबाला है। आज शहर हो या गांव कोई भी क्षेत्र जंक फूड से अपरिचित नहीं है। मनुष्य के गलत खानपान की प्रवृत्ति में जंक फूड का सेवन करना सबसे ज्यादा गलत है। जंकÓ अंग्रेजी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है-बेकार। अत: जंक फूड वह बेकार के तत्वों से तैयार खाद्य वस्तु है, जिसमें कैलोरी तथा फैट अत्यधिक मात्रा में होता है और शरीर के लिए अत्यावश्यक जीवन पोषक तत्व शून्य प्राय होते हैं। फास्ट फूड, स्ट्रीट फूड, बोतलबंद पेय पदार्थों को एक ही शब्द से कहना हो, तो जंक फूडÓ शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। आज बाजार में अनेक प्रकार के पिज्जा, बर्गर, चाकलेट, नूडल्स, मोमोज आदि खाद्य वस्तु उपलब्ध है। परिणाम बड़ा विडंबना पूर्ण है कि जंकफूड खा-खाकर इनका जीवन उलट-पुलट और बेतरतीब हो गया है।
स्वाति अग्रवाल