जाति प्रमाण पत्र के लिए शिक्षक बहा रहे पसीना
जाति प्रमाण पत्र के लिए शिक्षक बहा रहे पसीना
ग्वालियर। शासन द्वारा जाति प्रमाण बनाने का काम शिक्षकों को सौपें जाने के बाद इस कार्य में लगे शिक्षकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भीषण गर्मी के दिनों में शिक्षक घर-घर जाकर जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए बच्चों को तलाश रहे हैं। शिक्षकों को छात्रों का जाति प्रमाण समेत अन्य दस्तावेजों का एकत्रित करने में भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। वे दस्तावेज जमा करते हुए घर-घर घूम रहे हैं, लेकिन उनकी परेशानी तब बढ़ जाती है, जब छात्र फोटो नहीं होने और ओरिजनल जाति प्रमाण पत्र देने से कतराते हैं। ऐसे में शिक्षकों को खुद के मोबाइल से फोटो खींचनी पड़ रही है, तो अपने पैसों से दस्तावेजों की फोटो कॉपी तक करानी पड़ रही है।
कुछ शिक्षक तो स्कूलों में ही बच्चों व अभिभावकों को बुलाकर दस्तावेज जमा कर रहे हैं, लेकिन अभिभावकों के नहीं आने पर शिक्षकों को घर-घर जाकर दस्तावेज जुटाने पड़ रहे हैं। दस्तावेज जमा नहीं होने की दशा में शिक्षकों पर गाज भी गिर सकती है।
छुट्टियों के चलते घर पर नहीं मिलते अभिभावक:- इन दिनों ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहा है। जिसके चलते बच्चों व उनके अभिभावक शिक्षकों को घर पर नहीं मिल रहे हंै। जिसके चलते एक बच्चे के घर पर दो-दो बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उधर शिक्षकों के मुताबिक घर पहुंचने पर अभिभावक बच्चों के जाति प्रमाण पत्र नहीं देते हैं। समझाने के बावजूद भी वे इससे देने से मना कर देते हैं, तो दूसरे दस्तावेजों की फोटो कॉपी कराने गांव में मशीन उपलब्ध नहीं होती हैं। फोटो कॉपी मशीन होने पर अपनी जेब से फोटो कॉपी के पैसा देना पड़ता है। वहीं कुछ अभिभावक तो ये भी नहीं जानते की जाति प्रमाण पत्र क्या होता है।
शिक्षा विभाग ने की निंदा:- शिक्षा विभाग द्वारा जाति प्रमाण पत्र बनाने के बारे में गलत जानकारी देकर विद्यालयों के प्रति भ्रम फैलाए जाने की मप्र शिक्षक संघ जिला ग्वालियर ने कड़े शब्दों में निंदा की है। शिक्षक संघ ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 27 के अंतर्गत शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य कराना गैर कानूनी है। इसके बावजूद मप्र शासन से मान्यता प्राप्त विद्यालय एवं सीबीएसई के कार्यरत शिक्षक भीषण गर्मी में जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिये छात्रों के घर-घर दस्तक दे रहे हैं। अधिकांश छात्र व पालक ग्रीष्म अवकाश में घर पर नहीं है।
जिन छात्रों के घर वाले मिले भी वे सही जानकारी देने से हिचकिचा रहे हैं। वास्तविकता से अनभिज्ञ जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग शिक्षकों पर जानबूझ कर कड़ी कार्रवाई कर स्कूलों की मान्यता निरस्त करने का नोटिस जारी कर मनमानी पर आमदा है। शिक्षक संघ ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए जाति प्रमाण पत्र के नाम पर स्कूलों की मान्यता निरस्ती की बहाली की मांग शिक्षा विभाग से की है।
मांग करने वालों में जिलाध्यक्ष अरुण सिंह, रविकांत, धर्मेन्द्र गायकवाड़, पुरुषोत्तम शर्मा सहित अनेक शिक्षक शामिल हैं।