मजबूरी बना जोखिम भरा सफर

श्योपुर | जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन के साधन उपलब्ध कराने के लिए भले ही जिले में ग्रामीण रूट चिन्हित कर उन पर छोटे वाहनों को चलाने के निर्देश दिए गए हों, लेकिन निर्देशों के बावजूद न तो परिवहन विभाग जिले में ग्रामीण रूट चिन्हित कर पाया है और न ही छोटे वाहन चले हैं। यही वजह है कि आज भी कई गांव आवागमन के साधनों के अभाव से जूझ रहे हैं। बावजूद इसके परिवहन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों कोई ध्यान नहीं दे रहे।
बताया गया है कि लगभग चार साल पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण परिवहन सेवा शुरू की गई, लेकिन तत्समय भी श्योपुर में यह सेवा शुरू नहीं हो पाई। इसके बाद गत विधानसभा चुनावों के बाद शासन ने इस सेवा को नए सिरे से शुरू करने की प्रक्रिया प्रारंभ की, जिसके तहत जिले में भी ग्रामीण रूट चिन्हित कर उन पर टाटा मैजिक से छोटे वाहनों को परमिट दिए जाने थे। इसके लिए जिलाधीश जीबी पाटिल द्वारा भी पिछले छह माह में कई बार बैठकों के दौरान जिला परिवहन अधिकारी को निर्देशित भी किया लेकिन नतीजा सिफर रहा।
सैकड़ों गांवों को साधनों का इंतजार
शासन-प्रशासन के निर्देशों को परिवहन विभाग द्वारा हवा में उड़ा दिए जाने से आज भी जिले के सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहां आवागमन के साधनों का इंतजार है। कराहल, बड़ौदा, विजयपुर और वीरपुर तहसील क्षेत्र के कई दूरदराज के गांवों में लोगों को आने-जाने के लिए आज भी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों या डग्गामार वाहनों का ही सहारा लेना पड़ता है जिससे ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर सफर पूरा करना पड़ता है।

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