जनमानस
अजर-अमर रहेगा हिन्दुस्तान का यह अनमोल 'रत्न'
भक्तियोग, कर्मयोग व ज्ञानयोग के अनूठे संगम में जीवन जीने वाले आम आदमी के राष्ट्रपति और मिसाइलमैन से विख्यात अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम) की मौत भी अचूक मिसाइल के संधान की तरह थी। मौत का ऐसा प्रक्षालन सचमुच अद्भुत और अकल्पनीय था। न कोई बीमारी न कैसी भी अन्य शारीरिक पीड़ा रहने योग्य पृथ्वी के मानवता वादी चिंतन में राष्ट्र की वर्तमान समस्याओं संसद के जाम और आतंक के खिलाफ राष्ट्र के लिये करने की गहन साधना में वे पूर्ण समाधि को प्राप्त हुये। ऐसा अनमोल भारत रत्न के प्रति देशवासियों के उमड़े प्यार में 'लौट आओ कलामÓ की अटूट भावनामयी वेदना की हूक फूटना स्वाभाविक है। कलाम साहब की जन्मतिथि (15 अक्टूबर) को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व छात्र दिवस घोषित किया हुआ है अच्छा हो कि अब उनके अवसान दिवस 27 जुलाई को आतंक निरोध में विश्व सुख- शांति का 'पृथ्वी दिवस' घोषित किया जाये। उनकी तमाम वैज्ञानिक उपलब्धियों, राष्ट्रपति पद के साथ मिली तमाम उपाधियों और सम्मानों के निष्कर्ष में शिक्षा और शिक्षक की सर्वोपरि भूमिका की स्वीकारोक्ति राष्ट्र के लिये बहुत बड़ी प्रेरणा सिद्ध हो सकती है। परिवार जन तथा बचपन के मित्रजन उन्हें 'आजाद' कहकर पुकारते थे सचमुच अहंकार शून्य होकर भारतमाता की सेवा करने वाला यह सपूत सच्चा महानायक कहलाने का हकदार है। उनके आजाद होकर राष्ट्र समर्पण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सेवा भावना के आदर्श का निर्विवाद रूप से जीना इस पोखरण के संत की ऐसी अनमोल निधि है जहां भारत के सनातन धर्म की संस्कृति का अटल सत्य सूर्य की तरह दमकता है। सादगी पूर्ण जिंदगी में ब्रह्मचर्य का यह पुजारी वीआईपी कुसंस्कृति और इस्लामी आतंक व कट्टरता को खारिज करने का ऐसा विश्व स्तम्भ बन गया है जहाँ देश ही नहीं सारी दुनिया का नतमस्तक होना लाजिमी है। बच्चों के प्यारे,युवाओं को हौंसला देने वाले और वृद्धों के लिये मिसाल बने कलाम ने अपने ज्ञान का ऐसा गुरुकुल स्थापित कर दिया है जो हमारे देश की तमाम पीढिय़ों के लिये ज्ञान का संबल बना रहेगा। अपने सहयोगियों के प्रति घनिष्ठता एवं प्रेमभाव के लिए कुछ लोग उन्हें वेल्डर ऑफ पीपुल भी पुकारते रहे। सचमुच 94 साल के भारतीय वायुसेना के इकलौते मार्शल अर्जन सिंह द्वारा अपनी व्हील चेयर से छड़ी के सहारे स्लो स्टेप मार्च द्वारा कलाम को दिया गया सम्मान पूरे राष्ट्र को रोमांचित कर गया। सिस्टम को गाली मत दीजिये सुधार पर आगे बढ़ते रहिए और जिंदगी को सकारात्मकता में जीने का सन्देश देने वाले कलाम सचमुच बहुत याद आयेंगे। कलाम के लिये पवित्र सलाम व श्रद्धांजलि का अर्थ है उनके दिखाये रास्ते पर चलना। दुश्मन के सामने अपनी ताकत से डंटना उनके वैज्ञानिक सुरक्षा अनुसंधानों व परमाणु क्षमता विकसित करने का सार है तो वहीं सांसदों को देश के शिल्पकारों के सम्बोधन में संसद को सुचारू ढंग से चलाने का पैगाम है। उनके जीवन के अनगिनत शिक्षाप्रद पहलू हैं। हिंदुस्तान को गर्व है अपने इस अनमोल भारत रत्न पर। कलाम साहब निश्चित ही भारतीय संस्कृति में अजर-अमर शख्सियत के रूप में याद किये जाते रहेंगे।
हरिओम जोशी