चार साल से नहीं खुला बैंक लॉकर
मामला सेंट्रल बैंक के लॉकर से आधा किलो सोना पार होने का
ग्वालियर। सेन्ट्रल बैंक के लॉकर से सुमन चावला के आधा किलो वजनी सोने के जेवरात गायब होने के मामले में रविवार का अवकाश होने के बाद भी बैंक प्रबंधन ने दस्तावेजों की पड़ताल की। दस्तावेजों से पता चला है कि सुमन चावला ने आखिरी बार लॉकर 4 अगस्त 2011 को खोला था। बैंक के दस्तावेजों में सुमन के हस्ताक्षरों में भी भिन्नता प्रतीत हो रही है। पुलिस ने सभी कोण से मामले की पड़ताल शुरू कर दी है।
चेतकपुरी निवासी सुमन चावला पत्नी स्व. प्रमोद चावला वाले मामले में रविवार को जब दस्तावेज तलाशे गए तब जाकर वह रजिस्टर प्रबंधन के हाथ लगा, जिसमें लॉकर ऑपरेट करने वाले के हस्ताक्षर प्रबंधन कराता है।
इस रिकार्ड को पुलिस ने बैंक प्रबंधन से जब्त कर जांच शुरू कर दी है।
2011 में कई बार लॉकर खोला गया
बैंक सूत्रों का कहना था कि जिसके भी द्वारा बैंक लॉकर को खोला गया, उसने अंतिम बार 4 अगस्त 2011 को खोला था, लेकिन इस बार सुमन के हस्ताक्षर नहीं थे, जबकि सुमन का कहना है कि उन्होंने ही आखिरी बार बैंक लॉकर खोला था। उसके बाद से किसी ने भी लॉकर को नहीं खोला। उधर सुमन के मुंह बोले भाई अशोक मारवा का कहना है कि उन्हें सुमन ने बताया है कि 2011 के सातवें माह में लॉकर खोलकर देखा गया था तथा उसमें करीब साठ तोला सोने के जेवर रखे हुए थे, लेकिन सवाल यह है कि अगस्त में किसने लॉकर खोलकर देखा?
प्रमोद की मौत के बाद कई बार लॉकर खोला गया
बैंक प्रबंधन का कहना है कि दस्तावेजों के हिसाब से तो सुमन चावला द्वारा कई बार लॉकर का उपयोग किया गया, जबकि उनका कहना था कि पति की मौत के बाद महज दो या तीन बार ही लॉकर खोला गया है।
हस्ताक्षर में भिन्नता
बैंक सूत्रों का कहना है कि जो रिकार्ड बैंक के हाथ लगा है, उसमें सुमन चावला द्वारा जो हस्ताक्षर किए जाते रहे हैं, वह हस्ताक्षर अंतिम दो बार लॉकर का प्रयोग करने पर नहीं पाए गए। इससे प्रतीत होता है कि बैंक लॉकर को लॉकर मालिक के नजदीकी व्यक्ति द्वारा ही ऑपरेट किया गया होगा।
1991 में खोला था बैंक में लॉकर
बैंक प्रबंधन ने बताया कि सुमन को संभवत: याद नहीं होगा कि लॉकर कब खुला। बैंक रिकार्ड के अनुसार यह लॉकर वर्ष 1991 में खुला था। प्रबंधन का कहना था कि स्व. प्रमोद चावला बैंक के एक प्रतिष्ठित ग्राहक हुआ करते थे।
बैंक में भी रहती लॉकर की एक चाबी
बैंक प्रबंधन ने बताया कि लॉकर की दो चाबियां होती हैं। उसमें से एक चाबी बैंक प्रबंधन के पास तथा दूसरी चाबी लॉकर मालिक के पास होती है। खास बात यह है कि लॉकर तब तक नहीं खुल सकता, जब तक कि उसमें दोनों चाबियां न लगाई जाएं।
इनका कहना है
''बैंक से रिकार्ड ले लिया गया है। पुलिस अब जांच कर पता लगाएगी कि आखिर मामला क्या है और किसने लॉकर खाली किया है। दोषी जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होगा।''
राजकुमार शर्मा, थाना प्रभारी, जनकगंज
''बैंक का रिकार्ड मिल गया है, जिसे पुलिस के हवाले कर दिया गया है। अब आगे की जांच पुलिस करेगी और दोषी को सामने लाएगी।''
सतीश चौबे, प्रबंधक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया
शाखा, नई सड़क, ग्वालियर