देश का पहला और अनूठा प्रयास-शौर्य स्मारक, शहीदों और आम नागरिकों के बीच बनायेगा जीवंत रिश्ता
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दर्शन शास्त्र के जानकार हैं। गहरी सोच और गंभीर कल्पनाओं के धनी श्री चौहान ने अमर शहीदों से सीधा और जीवंत साक्षात्कार करवाने का अनूठा प्रयास किया है। उन्होंने इन्हीं कल्पनाओं को साकार रूप दिया है शौर्य स्मारक में। श्री चौहान कहते भी हैं कि सिर उठाकर गर्व से जीने का अधिकार उन्हीं को होता है, जिनके सिर देश की आन-बान के प्रहरियों और शहीदों के सम्मान में श्रद्धा से झुकना जानते हैं। यह मध्यप्रदेश का देश की जनता को एक ऐसा उपहार है, जो हमेशा नागरिकों को शहीदों की शहादत की याद दिलवायेगा और राष्ट्र भक्ति और राष्ट्र के लिये हर तरह के त्याग के प्रति हमारे नागरिकों को प्रतिबद्ध बनायेगा। स्मारक का भूमि-पूजन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 फरवरी, 2010 को तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष जनरल दीपक कपूर की उपस्थिति में किया था। स्मारक का लोकार्पण 14 अक्टूबर, 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
राष्ट्र की सुरक्षा में जीवन बलिदान करने वाले शहीदों की पावन स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिये मध्यप्रदेश में शौर्य स्मारक का निर्माण किया गया है। शौर्य स्मारक की परिकल्पना एक पवित्र स्थान को संबोधित करती है, जिसकी विवेचना परम्परागत एलोरा, खजुराहो तथा मोधेरा जैसे भारतीय मंदिरों से की गयी है। इस स्मारक में मंदिर-अक्ष की पवित्रता को अंतिम स्थान (मृत्यु पर विजय) में जीवन बलिदान करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर दर्शाया गया है। शौर्य स्मारक रूप-रंग और सामग्री का सम्मिश्रण ही नहीं, वरन् एक जीवंत अनुभूति प्रदान करेगा। वास्तुविदीय परिकल्पना के अनुसार यहाँ आने वाला प्रत्येक दर्शक अपने निजी अनुभव, संसार और कल्पना के आधार पर शौर्य स्मारक के साथ तादात्मय स्थापित करे तथा ऐसा परिवेश निर्मित हो, जहाँ आगंतुकों के मन में सहज ही शहीदों के प्रति श्रद्धा-भाव जागृत हो, ऐसा प्रयास किया गया है।
देश के लिये अपने प्राणों का बलिदान देने वालों पर समर्पित यह स्मारक भोपाल नगर के लौह-शिल्प आधारित चिनार पार्क के समीप 12.67 एकड़ (लगभग 51 हजार 250 वर्ग मीटर) भूमि पर बनाया गया है। शौर्य स्मारक का निर्मित क्षेत्रफल लगभग 8,000 वर्ग मीटर है। लागत लगभग 41 करोड़ है। शौर्य स्माारक में तमाम यादों को संग्रहित किया गया है। बनाबट के हिसाब से देखें तो कई भागों को जोड़ा गया है।
सियाचिन की भी रचना
संग्रहालय में ही एक स्थान पर सियाचिन की रचना भी की गयी है। इसमें उस स्थिति का अहसास करवाया गया है, जहाँ हमारे सैनिक माइनस टेंप्रेचर में भारतीय सीमा की रक्षा करने में कोई कोताही नहीं करते। निश्चित ही देखने वालों के लिये यह दृश्य रोमांचक तो होगा ही, साथ ही सैनिकों के प्रति उनके मन में अधिक सम्मान का भाव पैदा करेगा। स्मारक परिसर में समय-समय पर शहीदों से संबंधित अनुष्ठानिक समारोह करने के लिये आवश्यक स्थान, संसाधन केन्द्र, खुला रंगमंच (एमफी थियेटर) तथा कैफेटेरिया जैसी अन्य मूलभूत सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।