चिडिय़ाघर के बाद अब वन्य पक्षियों में भी बढ़ी बर्ड फ्लू की आशंका, आईपीएस कॉलेज में अचानक हुई 34 कबूतरों की मौत
ग्वालियर। बर्ड फ्लू संक्रमण से पिछले दिनों गांधी प्राणी उद्यान (चिडिय़ाघर) में हुई पेंटेड स्टार्क पक्षियों की सामूहिक मौत के बाद अब स्वच्छंद विचरण करने वाले वन्य पक्षियों की भी अचानक मौत के मामले सामने आने लगे हैं। शिवपुरी लिंक रोड स्थित आईपीएस कॉलेज परिसर में मंगलवार और बुधवार को अचानक 34 कबूतरों की सामूहिक मौत हो गई, जिससे वन्य पक्षियों में भी बर्ड फ्लू संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ गई है। पशु पालन विभाग द्वारा जांच के लिए मृत कबूतरों के नमूने राष्ट्रीय लैब भोपाल भेजे गए हैं।
उल्लेखनीय है कि 18 से 24 अक्टूबर के बीच चिडिय़ाघर में 24 पेंटेड स्टार्क पक्षियों की मौत हुई थी। राष्ट्रीय डीआई लैब भोपाल द्वारा इन मृत पक्षियों के नमूनों की जांच में बर्ड फ्लू (एच-5 एन-8) के लक्षण पाए गए थे। इसी दौरान विगत 23 अक्टूबर को भोपाल से आए विशेषज्ञों के उच्च स्तरीय दल की सलाह पर प्रशासन द्वारा चिडिय़ाघर को एक माह के लिए बंद कर दिया था। इसके बाद से चिडिय़ाघर में तो अब सब कुछ सामान्य है, लेकिन गत मंगलवार को शिवपुरी लिंक रोड स्थित आईपीएस कॉलेज परिसर में अचानक 24 कबूतरों की सामूहिक मौत हो गई। इसकी सूचना मिलते ही बर्ड फ्लू की आशंका को लेकर प्रशासन में हडक़ंप मच गया। प्रशासन द्वारा तत्काल पशु पालन विभाग का दल मौके पर भेजा गया, जिसने जांच-पड़ताल के बाद मृत कबूतरों के नमूने एकत्रित किए। तत्पश्चात उनके शवों को चूने के साथ तीन फीट गहरे गड्ढे में दफन करा दिया गया। इसके बाद बुधवार को भी इसी कॉलेज परिसर में पुन: करीब 15 कबूतरों की सामूहिक मौत हो गई। मौके पर पहुंची पशु पालन विभाग की टीम ने उनके शवों को भी चूने के साथ जमीन में दफन कर दिया है। इन सभी कबूतरों के नमूने जांच के लिए राष्ट्रीय डीआई लैब भोपाल भेजे गए हैं, जहां से एक-दो दिन में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कबूतरों की मौत का असल कारण सामने आएगा।
कॉलेज परिसर में किया कीटनाशकों का छिडक़ाव
जानकारी के अनुसार आईपीएस कॉलेज परिसर में कबूतर बड़ी संख्या में हैं। यहां लगातार दो दिन कबूतरों की सामूहिक मौत होने से बर्ड फ्लू संक्रमण की संभावना के मद्देनजर पशु पालन विभाग की सलाह पर आईपीएस कॉलेज प्रशासन द्वारा कॉलेज परिसर सहित भवन की छतों पर कीटनाशकों का छिडक़ाव कराया गया है।
कीटनाशक युक्त दाने खाने से भी हो सकती है मौत
पशु पालन विभाग के उप संचालक डॉ. ओ.पी. त्रिपाठी का कहना है कि इन दिनों चूंकि खेतों में फसलों की बोवनी की जा रही है। अधिकतर किसान बीजों को कीटनाशकों से उपचारित कर बोवनी कर रहे हैं। हो सकता है कि खेतों में पड़े ऐसे ही कीटनाशक युक्त बीज (अनाज के दाने) खाने से कबूतरों की मौत हुई हो। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में सर्दी बढऩा शुरू हो गई है और ऐसे मौसम में ही बर्ड फ्लू का वायरस सक्रिय होता है, इसलिए कबूतरों की मौत बर्ड फ्लू से होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। इसी आशंका के मद्देनजर मृत कबूतरों के नमूने राष्ट्रीय डीआई लैब भोपाल भेजे गए हैं, जहां से एक-दो दिन में रिपोर्ट मिल जाएगी। इसके बाद ही मौत की सही बजह पता चलेगी।
चिडिय़ा घर खुलने की संभावना पर लगा विराम
चिडिय़ाघर में बर्ड फ्लू संक्रमण से सामूहिक मौत का शिकार बने पेंटेड स्टार्क पक्षियों के साथ एक ही केज में रहे तीन पोलिकन पक्षियों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद विगत 23 अक्टूबर से बंद चिडिय़ाघर के जल्द खुलने की संभावना नजर आ रही थी, लेकिन आईपीएस कॉलेज में अचानक कबूतरों की सामूहिक मौत के बाद फिलहाल चिडिय़ाघर खुलने की संभावना पर विराम लग गया है। जिलाधीश डॉ. संजय गोयल का कहना है कि मृत कबूतरों की जांच रिपोर्ट यदि निगेटिव आती है, तो ही सैलानियों के लिए चिडिय़ाघर को खोलने पर विचार किया जाएगा, जबकि पशु पालन विभाग के उप संचालक डॉ. ओ.पी. त्रिपाठी का कहना है कि चिडिय़ाघर को खोलने से पहले विशेषज्ञों का दल बुलाया जाएगा, जो चिडिय़ाघर के पक्षियों की जांच-पड़ताल करेगा। तत्पश्चात जिलाधीश की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक होगी। उसके बाद ही इस संबंध में कोई निर्णय लिया जाएगा।